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आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - उपन्यास
ARUANDHATEE GARG मीठी
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
एक लड़की हाथों में हिस्ट्री की किताब लिए , एक आर्ट सब्जेक्ट की क्लास की ओर बढ़ गई । लड़की ने अपना आधा चेहरा ढाका हुआ था , जो कि बाएं तरफ का था । उसी बाएं तरफ के चेहरे पर जो थोड़ी बहुत त्वचा दिख रही थी , जो कि कपड़े से कवर नहीं हो पाई थी , उसे उस लड़की ने अपने बालों से ढक लिया था । लड़की क्लास में पहुंची । हाथों में किताब होने के कारण , क्लास के बच्चे उसे अपनी क्लास का स्टूडेंट समझ रहे थे, क्योंकि उसकी हाईट भी छोटी थी, लगभग चार से साढ़े चार फुट के बीच और चेहरे ढाका होने के कारण , कोई भी पता नहीं लगा पा रहा था , उसके प्रोफेशन के बारे में । हाइट के अकॉर्डिंग , सभी उसे स्टूडेंट ही समझ रहे थे ।
आभा ....( जीवन की अग्निपरीक्षा ) ( भाग - 1 ) एक लड़की हाथों में हिस्ट्री की किताब लिए , एक आर्ट सब्जेक्ट की क्लास की ओर बढ़ गई । लड़की ने अपना आधा चेहरा ढाका हुआ था , ...और पढ़ेकि बाएं तरफ का था । उसी बाएं तरफ के चेहरे पर जो थोड़ी बहुत त्वचा दिख रही थी , जो कि कपड़े से कवर नहीं हो पाई थी , उसे उस लड़की ने अपने बालों से ढक लिया था । लड़की क्लास में पहुंची । हाथों में किताब होने के कारण , क्लास के बच्चे उसे अपनी
आभा......( जीवन की अग्निपरीक्षा ) ( भाग - 2 ) बेसब्री से खुद को ताक रहे स्टूडेंट्स को देखते हुए प्रिंसिपल मैम बोलीं । प्रिंसिपल मैम - तो स्टूडेंट्स......, ये हैं आपकी न्यू हिस्ट्री टीचर....। आभा...., आभा त्रिपाठी । ...और पढ़ेमैम की बात सुनकर सभी स्टूडेंट्स ने अपना सिर पकड़ते हुए एक साथ कहा । स्टूडेंट्स - मर गए.....???। स्टूडेंट्स का ऐसा रिएक्शन देखकर , प्रिंसिपल मैम को हैरानी हुई और उन्होंने उसी भाव से आभा की तरफ देखा । पर आभा ने कोई जवाब नहीं दिया और वो भी स्टूडेंट्स की तरफ देखने लगी । प्रिंसिपल मैम
आभा अपने स्कूल का सारा जरूरी काम खत्म कर घर की ओर चल दी । उसने अपने घर के दरवाजे पर कदम रखा ही था , कि उसे अपने घर की दहलीज पर लोगों की चप्पल दिखी । उसे ...और पढ़ेहो गया , कि घर में कोई आया हुआ है । वह दहलीज के अंदर आई , और चप्पल स्टैंड में अपनी चप्पल रखकर , दो कदम ही चली होगी , कि उसकी मां ने उसे देख लिया । और उन्होंने तुरंत उसे पकड़कर उन लोगों के सामने लाकर खड़ा कर दिया और मुस्कुराते हुए उन्होंने घर में आए मेहमानों
अब दौर शुरू हुआ बेहिसाब बेज्जती का , आभा और उसके परिवार की । लड़के की मां आभा के पास आयी, और जैसे ही अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाने लगी , तो सुनीता जी उन्हें रोकने लगी , पर ...और पढ़ेकी मां ने उनकी एक बात न सुनी और आभा का चेहरा ऊपर किया । उन्होने उसके सिर से दुपट्टा पूरी तरह से हटाया और बाएं तरफ के बालों को साइड में किया और आभा का आधा चेहरा देखकर , अचानक से चीख कर उससे झटके से दूर हो गई । आखें उसकी , लड़के के पिता और लड़के की
शाम के करीब सात बज रहे थे और आभा का फोन बार - बार रिंग होकर कट रहा था । आभा गहरी नींद में थी । लेकिन फिर फोन की आवाज़ सुनकर, आखिर उसकी नींद खुल ही गई । ...और पढ़ेअपनी आंखें मली और अपनी नज़र दीवाल घड़ी पर घुमाई , तो उसे टाइम का पता चला । वो सोचने लगी कि रोते - रोते कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला , और शायद पिछले कुछ घंटों से वह गहरी नींद में ही है । वह बिस्तर से उठी और कबर्ड से कपड़े निकालने लगी ,