Gujarati Whatsapp Status |
Hindi Whatsapp Status
Nilesh Rajput
You left me,
When the flower started blooming again.
You left me,
When God was also changing the fate to unite us.
You left me,
When only your name was being chanted on my every breath.
You left me,
When I was ready to leave even heaven to get you.
You left me,
When I left the whole world for you.
- Nilesh tank
Nabiya Khan
एक ख़ूबसूरत शाम
शाम…
दिन की थकान को चुपचाप समेट लेने वाला वक़्त।
जब सूरज ढलने लगता है और आसमान पर हल्की-सी सुरमई चादर बिछ जाती है,
तब दिल भी जाने क्यों सुकून की एक गहरी सांस ले लेता है।
इस ख़ूबसूरत शाम में हवाओं का लहजा बदल जाता है,
चाय की ख़ुशबू में यादों की मिठास घुल जाती है।
पेड़ों की सरसराहट जैसे कोई पुराना किस्सा सुना रही हो,
और दिल उन लम्हों में खो जाता है जो कभी हमारे थे।
शाम हमें सिखाती है कि हर ढलते दिन के बाद भी
उम्मीद का एक दिया जलता रहता है।
थक कर बैठ जाना हार नहीं होता,
कभी-कभी रुक जाना भी ज़िंदगी का हुस्न होता है।
ये शामें गवाह हैं हमारी ख़ामोश दुआओं की,
अनकही मोहब्बतों की और टूटे-बिखरे ख़्वाबों की।
इसीलिए तो हर शाम ख़ास होती है,
क्योंकि ये हमें अपने आप से मिलने का मौका देती है।
Nabiya Khan
एक ख़ूबसूरत शाम
शाम…
दिन की थकान को चुपचाप समेट लेने वाला वक़्त।
जब सूरज ढलने लगता है और आसमान पर हल्की-सी सुरमई चादर बिछ जाती है,
तब दिल भी जाने क्यों सुकून की एक गहरी सांस ले लेता है।
इस ख़ूबसूरत शाम में हवाओं का लहजा बदल जाता है,
चाय की ख़ुशबू में यादों की मिठास घुल जाती है।
पेड़ों की सरसराहट जैसे कोई पुराना किस्सा सुना रही हो,
और दिल उन लम्हों में खो जाता है जो कभी हमारे थे।
शाम हमें सिखाती है कि हर ढलते दिन के बाद भी
उम्मीद का एक दिया जलता रहता है।
थक कर बैठ जाना हार नहीं होता,
कभी-कभी रुक जाना भी ज़िंदगी का हुस्न होता है।
ये शामें गवाह हैं हमारी ख़ामोश दुआओं की,
अनकही मोहब्बतों की और टूटे-बिखरे ख़्वाबों की।
इसीलिए तो हर शाम ख़ास होती है,
क्योंकि ये हमें अपने आप से मिलने का मौका देती है।
Gaurang Brahmbhatt
I can speak alone,
yet
only together can words turn into conversations.
I can feel joy alone,
yet
only together can joy become a celebration.
I can smile alone,
yet
only together can laughter be free and full.
This is the quiet beauty of relationships.
Relationships are born of affection,
they grow through love,
but they endure only through understanding.
Hold close the bonds you cherish,
for once they fade,
not even Google can find them again.
Every true relationship
carries the unseen investment
of a good heart.
As the year reaches its final week,
may the sweetness of our relationships
remain forever alive.
— Gaurang Brahmbhatt
Dipti Sagarka
મારે હવે ખુદને મેળવવી છે.
Miska
It's not about who I am, it's about who I always am.
PAYAL PARDHI
one day, i become a writter,💕💕💕💕💕💕💕💕support me yaar💕💕💕💕💕💕Follo kro,
Arun V Deshpande
Poem by : Arun V.Deshpande
Title: Money is not life
------------------------------
Money is not life
My friend,
Life means happy journey
For those
who have money ...
For someothers
life means
strugglefull journey
Without money...
Money is So sweet honey,
Efforts becomes
.only aim to Earn money
by hook & crook..
******
Poem by-
Arun V.Deshpande
Pune (Maharashtra)
9850177342
---------------------------------
Rushil Dodiya
तुम्हीं देखो ना
ये क्या हो गया
तुम्हारा हूं मैं और तुम मेरी
Nilesh Rajput
थाम रखा है हाथ कलम ने इसलिए जिंदा हूं,
वरना तेरे इश्क से तो हम कब के मर चुके होते! ✍️
Saroj Prajapati
काश से हुआ शुरू, काश पर ही खत्म हो गया
डाल फिर उम्मीदों की गठरी झोली में
ये साल भी खत्म हो गया।।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati
Nensi Vithalani
अपेक्षा में हम मुट्ठी बंद रखते हैं—अपनी चाहत, उम्मीदें और अधिकार जकड़ लेते हैं। इसी जकड़न में रिश्ते और भावनाएँ धीरे-धीरे मुरझा जाती हैं, जैसे हाथ में दबा हुआ फूल।
त्याग में हथेली खुली होती है—बिना शर्त देना, स्वीकार करना और मुक्त छोड़ देना। खुला मन ही प्रेम, शांति और सच्ची खुशी को खिलने देता है, जैसे खुली हथेली में खिला फूल।
✨ सीख: जहाँ अपेक्षाएँ बोझ बन जाती हैं, वहीं त्याग जीवन को हल्का और सुंदर बना देता है।
Nensi Vithalani
मोह में हाथ मुट्ठी बन जाता है — अपनेपन के नाम पर जकड़ लेना, डर के कारण पकड़ कर रखना। इसमें अपनापन कम और खो देने का भय ज़्यादा होता है, इसलिए पंछी सुरक्षित नहीं, कैद महसूस करता है।
प्रेम में हथेली खुली होती है — भरोसा, आज़ादी और सम्मान के साथ साथ चलना। यहाँ पंछी ठहरता भी है और उड़ने की आज़ादी भी रखता है, क्योंकि उसे बाँधा नहीं गया, समझा गया है।
🌿 सीख:
जो पकड़कर रखा जाए वह मोह है,
और जिसे उड़ने की आज़ादी दी जाए — वही सच्चा प्रेम है।
Rushil Dodiya
हम बेखुदी में तुम को पुकारे चले गए
साग़र में जिंदगी को उतारे चले गए
देखा किए तुम्हे हम बन के दीवाना
उतरा जो नशा तो हमने ये जाना
सारे वो जिंदगी के सहारे चले गए
- मजरूह
Rushil Dodiya
मुबारकें तुम्हे के तुम किसी के नूर हो गए
किसी के इतने पास हो के सब से दूर हो गए
अजीब दास्तां है ये
- शैलेंद्र
Mrs Farida Desar foram
good morning
Ashu_ Mishra
बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे
मीठी मीठी जानकी
चोरी छुपम लोक काम छुपम
यह सभा मत जानकर
बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी मीठी जानकर
सुबह शाम दोपहर में होगी मस्ती बहुत ग्राम कर
बच्चा बच्चा खेल खेलेंगे मीठी-मीठी जानकर
Ashu_ Mishra
मनोहर कविता बच्चों के लिए
सूरज मामा सुबह है निकले
ठंडी में स्नान को
चलो बच्चों हम स्नान कर लें
ठंडी हवा पहचान को
उसके बाद करेंगे मस्ती
अच्छी धूप जान को
सूरज मामा सुबह निकल
ठंडी में स्नान को
उसके बाद मम्मी और दादी के हाथों की मिस्टी खाएं
उसके बाद दादा जी के साथ बाजार की सब मिठाई खाएं
सूरज मामा सुबह निकल ठंडी में स्नान को
Desai Pragati
dp writes🤍📚🌻
Ashu_ Mishra
वह हमसे इश्क करेंगे इसमें हमारी खता क्या
हम भी उनसे इश्क करें ऐसी शर्त है कहां
रोज-रोज की झंझट को मिले आराम यहां वहां
शांत हो जीवन मेरा और मुक्त हो इन जलो से
वह हमसे इश्क करेंगे इसमें हमारी खता क्या
Shailesh Joshi
સુખ અને શાંતિ ના હકદાર તો
એ લોકો જ બનશે, જે નાના મોટા પ્રશ્નોનું
નિરાકરણ શોધવાનો પ્રયાસ કરતા હશે,
બાકી કંઈ નહીં કરવાવાળા લોકોની આસપાસ તો
માત્ર પ્રશ્નોનું આવરણ જ ઊભું થશે.
- Shailesh Joshi
Jyoti Gupta
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Ashu_ Mishra
बैठ के हम दोस्तों ने जमाने की रुसवाई कारी
हमने कुछ बुराई करी उसने कुछ बढ़ई करी
रोज कहीं आना और जाना था
बस यही हम दोस्तों का फसाना था
Ashu_ Mishra
ठंडी हवाओं में धूप का आनंद क्या
सुबह की चाह में दोपहर का आनंद क्या
शाम की मध्य रोशनी में रात का आनंद क्या
जीवन के गम में खुशी का आनंद क्या
kajal jha
मैंने उसे दिल दिया,
उसने मुझे आदत समझ लिया।
मैं हर हाल में उसके साथ रही,
और उसने हर हाल में
मुझे अकेला छोड़ दिया।
- kajal jha
Miss writer
tay kiya tha ...
kisi se kabhi pyar nahi karungi,
kabhi kisi shaks ke liye dil ka darwaza nahi kholungi,
jab koi pyar ka izhar karega to jawab nahi dungi,
jab kisi ke ankho me pyar nazar ayega to aankhe pher lungi,
phir.... mahadev le hi aaye use aur bas ek hi gana Baja dil me...
*Haathon ki lakeeron ko ghuma diya
Milna nahi tha; milwa diya
Le hi aaya dono ko kareeb
Ajeeb-o-gareeb tarkeeb lagaye naseeb
Ajeeb-o-gareeb*
Nilesh Rajput
जाति से लड़ने वाली वो लड़की,
इश्क़ में अपना धर्म तक बदल बैठी।
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
तन्हा
एक उम्र गूजर जाती है घर बनाने में l
जिन्दगी खर्च हो जाती घर सजाने में ll
गुलशन का मौसम अचानक बदला l
दिल खाली हुआ अपनों के जाने में ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
वृद्ध आगमन देखकर, सूख गया युव प्राण। किन्तु नमन के बाद फिर, मिला उसे कल्याण।।
दोहा --372
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
વસ્ત્રો જો સારાં હશે, તો લોકો 'લાઈક' (Like) કરશે. પરંતુ વ્યક્તિત્વ જો સારું હશે, તો લોકો 'ફૉલો' (Follow) કરશે.
*શુભ સવાર*
SRK
"तुम्हारी एसी कोई अदा ना हो जिस पर हम फिदा न हो"
तुम्हे देखते देखते हम जमाना यूंही गुजार लेगे।
कुछ वक्त थम जाएगा तो हम उसके साथ बह जाएंगे।
कुछ बाते हम यूंही नहीं भूल जाते।
हर बाते भूलना आसान नहीं होता।
तुम्हारे संग चले जाना है, और बह जाना है।
शायद ए वक्त भी गुजर जाए ए लम्हे बुलाए।
kunal kumar
उधार ली गई भाषा
_________________
बरसों बाद तुम्हें देखा
तो खिल गया—
जैसे मुस्कुराने को खिलते हैं दो होंठ।
और इसी क्रम में चुपके से,
दबे पाँव कविता अपनी देह जमा गई।
शब्द कुछ नहीं थे,
व्याकरण कुछ नहीं था,
पर फिर भी एक लय
मेरे तालु पर आ गिरी ।
ठीक उसी प्रकार
जिस तरह सर्दियों में
ओस की बूँदें पत्तों पर टपकती हैं।
इसे लोगों ने कहा—प्रेम,
कवियों ने कहा—कविता,
दार्शनिक ने कहा— संवाद,
और जो कुछ न कह पाया,
कविता उसी की हो गई।
और इस तरह,
तुम्हें देखते हुए
मैंने
पहली बार जाना कि
कविता लिखना
दरअसल स्त्री-मन से
उधार ली गई भाषा है।
@कुनु
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹 आपका दिन मंगलमय हो 🌹
DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR
खामोशी की ताक़त
Gautam Patel
જય કષ્ટભંજનદેવ
vikram kori
🌹 Part 2
“उसकी एक झलक ही काफी है,
दिल को ये यकीन दिलाने के लिए
कि मोहब्बत आज भी ज़िंदा है…” ❤️
Aniket Maan
Jab zindagi main kuch thk na chl rha ho uss waqt Kya kre? Jisko sache dil se pyar Kiya ho vhi apka bgwan ho or vo zindagi se chla jaye uss waqt Kya kre? Dusre kisi anjan desh k ek chote se shehr main rhh rhe ho, Ghr vapsi ka koi rasta na ho or nokri se nikal diye jao uss waqt Kya kre? Jis dost pr akh bnd krke vishvas tha vo mushkil main dhokha dejaye uss waqt kya kre?
Uss Waqt Kya Kre???😅
Kaustubhi V Joshi KVJ
યે જો સફર પર હમ ચલ પડે હૈ
હૈ તો છોટાસા સફર
પર ખુદ કો ફિરસે તલાસને ચલ પડે હૈ
હૈ મંઝિલ તો છોટીશી
પર ખુદસે ખુદકો મિલને ચલે હૈ
વકત ચાહે કામ હો
વકત ચાહે કામ હો
પર જો ભી હૈ વો ખુદ કે લિયે હૈ
- Kaustubhi V Joshi KVJ
Ashu_ Mishra
मां ने मर्म को मर्म समझ
तुमने मर्म को जख्म समझा
कौन-कौन नहीं जख्म कुर्ता है समय के साथ
अब क्या जाने पर भी जख्म को जख्म समझा है
- Ashu_ Mishra
Ashu_ Mishra
तुम हमको गम देकर रुसवाई करते हो
आने पर केवल बेवफाई करते हो
जाने पर केवल शिकवाई करती हो
ओके करने पर दवाई करोगी
- Ashu_ Mishra
Ashu_ Mishra
रूठ गए तो मुस्कुराना सिखाती हो
हंस दिए तो गम भुलाना सिखाती हो
है तो जाना सिखाती हो
ना रहे तो क्या जमाना सिखाती हो
- Ashu_ Mishra
Ashu_ Mishra
मोहब्बत को मजाक समझती हो क्या
दिल को हिसाब समझती हो क्या
है तो कदर कर लो
जाने को गणित का हिसाब समझती हो क्या
- Ashu_ Mishra
Ashu_ Mishra
वह हमें रोशनी में ढूंढते हैं
उन्हें अंधेरों का हिसाब कहां
हम उन्हें उजाले में ढूंढते हैं
हमें अंधेरों का हिसाब का
Ashu_ Mishra
रात गहरी नींद आने को
सुबह करी नींद से जगाने को
दोपहर भूख और प्याज की तलाश को
शाम जगूंगती रोशनी और उजाले खास को
कब बीत गई पता ना चला कब आ गई पता ना चला
बच गई बस यह जिंदगी खास को
रात करी नींद आने को सुबह कारी नींद से जगाने को
सुबह की नटखट दोपहर की चाल रात की सुस्तियां फिर सुबह का कमाल अब क्या करें इसका हल
जहां से शुरू वही खत्म है कहानी
रात की गहरी नींद आने को सुबह कारी नींद से जगाने को
झज्जर वह बोलती कब जाओगे
हम भी कंप्लीट थोड़ी है जब जाओगे
फिर से वही आदत वही पुरानी चाल है
हम भी थोड़ी कम बदमाश है
रात की गहरी नींद आने को सुबह करें नींद से जगाने को
Kaushik dave
અધૂરો પ્રેમ
તું હતી, પણ મારી નહોતી
એ સત્ય સ્વીકારતા શીખ્યો છું હું.
હસતો રહ્યો દુનિયા સામે,
પણ અંદરથી રોજ મર્યો છું હું.
વચન આપ્યા હતા સાથે ચાલવાના,
રસ્તામાં તું બદલાઈ ગઈ.
હું ત્યાં જ ઊભો રહ્યો,
જ્યાં તારી યાદો મને છોડીને ગઈ.
રાતો આજે પણ પૂછે છે,
“એ ક્યારેય યાદ કરે છે તને?”
જવાબમાં મૌન જ રહે છે,
કારણ કે દુઃખ બોલતું નથી, સહે છે મને.
પ્રેમ ખોટો નહોતો મારો,
કમી તો કદાચ નસીબમાં હતી.
તું પૂરી થઈ ગઈ કોઈ બીજાની સાથે,
અને મારી કહાની અધૂરી રહી ગઈ.
✍️ Writer : Kaushik Dave
Aachaarya Deepak Sikka
*ॐ नमः शिवाय*
*अतिवर्ती नक्षत्र उस स्थिति को कहते हैं जब कोई ग्रह किसी नक्षत्र में अत्यधिक तीव्र गति से प्रवेश करके बहुत कम समय में उसे पार कर जाता है।*
सरल शब्दों में
सामान्यतः कोई ग्रह एक नक्षत्र में निश्चित अवधि तक रहता है।
लेकिन जब वह अपनी औसत गति से अधिक तेज चलता है और नक्षत्र में टिके बिना शीघ्र निकल जाता है, तो उस नक्षत्र में उसकी स्थिति अतिवर्ती (Ativarti) कहलाती है।
ज्योतिषीय विशेषताएँ
अतिवर्ती ग्रह फल को जल्दी देता है, परन्तु
फल अस्थिर, अचानक या अल्पकालिक होता है।
ऐसा ग्रह व्यक्ति के जीवन में
अचानक घटनाएँ
शीघ्र लाभ या हानि
अधूरापन या जल्दबाज़ी
मानसिक अस्थिरता
जैसे प्रभाव दे सकता है।
किन ग्रहों में अतिवर्तन अधिक देखा जाता है
*चन्द्रमा (सबसे अधिक)*
बुध
शुक्र
कभी-कभी मंगल
*उदाहरण*
यदि चन्द्रमा किसी जन्मकुंडली में किसी नक्षत्र को अत्यंत शीघ्र पार कर रहा हो, तो उस नक्षत्र के स्वामी और कारकत्व के फल व्यक्ति के जीवन में तेज़ी से आते-जाते देखे जाते हैं।
शास्त्रीय संकेत
अतिवर्ती ग्रह को कभी-कभी
*अल्पफलदायक*
क्षणिक प्रभाव वाला
भी कहा गया है, जब तक कि वह शुभ भाव, शुभ दृष्टि या योग से समर्थ न हो।
Aachaarya Deepak Sikka
*ॐ नमः शिवाय*
*गुलिक उपग्रह*
शनि का अंधकारमय संतान: गुलिक आपके घर और आपके कर्म में कैसे बैठता है
कुछ जन्मकुंडलियों में एक बहुत अजीब तरह की छाया होती है। जीवन चलता रहता है, लेकिन परिवार की कहानी में अस्पताल की गंध, अंतिम संस्कार, रक्त जाँच, और स्वास्थ्य संबंधी डर बार-बार लौटते रहते हैं। आचार्य मन्त्रेश्वर इस छाया को गुलिक और मांडी कहते हैं — शनि की संतान — राहु और केतु जितनी ही कठोर, जो हमेशा सूर्य और चंद्रमा (जीवन देने वाले) को विचलित करती रहती हैं।
जब गुलिक या मांडी किसी भी भाव को तीव्र रूप से स्पर्श करते हैं, तो जीवन का वह क्षेत्र दूषित या असुरक्षित सा महसूस होने लगता है। यदि वे चतुर्थ भाव को छुएँ, तो व्यक्ति बार-बार घर बदलता है, या घर बीमारी और तनाव से भारी हो जाता है। यदि वे लग्न या चंद्रमा के साथ हों, तो शरीर उम्र से पहले थका-थका लगता है, बीमारी से अधिक बीमारी का डर बना रहता है, नींद टूटती है, सपने अजीब होते हैं। यदि वे सप्तम या अष्टम भाव पर आक्रमण करें, तो आसपास के करीबी लोगों में ऑपरेशन, दुर्घटनाएँ, अचानक हानियाँ सुनने को मिलती रहती हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि “आपकी मृत्यु ऐसे होगी”, बल्कि आप जीवन में बार-बार अंत, अस्पताल और विदाई के दृश्यों के साक्षी बनते हैं।
यह छोटे-छोटे व्यवहारों में भी दिखता है। जिन लोगों पर गुलिक/मांडी का प्रभाव अधिक होता है, वे अक्सर पुराने मेडिसिन, एक्सपायर्ड गोलियाँ, इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन के पैकेट, पुराने मेडिकल रिपोर्ट्स और अस्पताल की फाइलें घर के कोनों में सालों तक संभालकर रखते हैं। कई बार मैंने देखा है कि एक खास दराज या डिब्बा होता है, जहाँ ये सारी “मृत्यु की स्मृतियाँ” जमा रहती हैं, और वही डिब्बा बिस्तर के पास या मंदिर के कमरे में ही रखा होता है। कुछ लोग इस्तेमाल की हुई पट्टियाँ, पुराने थर्मामीटर, टूटा हुआ ऑक्सीमीटर, खाली सिरप की बोतलें उसी अलमारी में रखते हैं, जहाँ भगवान की तस्वीर, अगरबत्ती और कुमकुम भी रखा होता है। प्रदूषण का ग्रह सचमुच देवता-स्थान के साथ बैठ जाता है।
एस्ट्रो वास्तु इसे बहुत स्पष्ट दिखाता है। गुलिक-प्रकार की ऊर्जा गंदे कोनों को पसंद करती है—सीढ़ियों के नीचे के स्टोर रूम जहाँ जाले और धूल जमी हो, बिना वेंटिलेशन के शौचालय, पीछे की बालकनी जहाँ टूटे बाल्टे, पोछे, पुराने जूते और जंग लगे लोहे फेंके रहते हैं। यदि ऐसा कोई कोना सीधे आपके बेडरूम, रसोई या घर के मंदिर की दीवार से सटा हो, तो मन बिना कारण भारी, उदास और डरा-डरा सा रहने लगता है। मांडी के प्रभाव वाले कई घरों में नालियों, गटर, सेप्टिक टैंक या मुख्य द्वार के बाहर गंदे पानी की समस्या बनी रहती है। व्यक्ति कहता रहता है, “पता नहीं क्यों, घर के बाहर हमेशा गंदगी रहती है,” और साथ ही सोचता है कि अंदर शांति क्यों नहीं है।
उपाय केवल मंत्र से शुरू नहीं होता। पहला उपाय है “शुद्धि” — सफ़ाई। यदि आपको लगता है कि आपके जीवन में अस्पताल-ऊर्जा बहुत अधिक है, तो सबसे पहले देखें कि आप मेडिकल फाइलें और दवाइयाँ कहाँ रखते हैं। उन्हें बेड के हेडबोर्ड और मंदिर से दूर करें। दक्षिण या पश्चिम दीवार की किसी व्यावहारिक जगह पर एक साफ़, बंद शेल्फ बनाएं, केवल वर्तमान दवाइयाँ रखें और एक्सपायर्ड दवाओं को सम्मानपूर्वक हटा दें। शौचालय और नाली वाले स्थानों की अच्छी तरह सफ़ाई करें। यदि घर के बाहर कोई कोना स्थायी रूप से गंदा रहता है जहाँ कचरा जमा होता है, तो सप्ताह में कम से कम एक बार वहाँ फिनाइल मिला पानी डालें और प्रार्थना करें—
“जो भी नीचा, गंदा, दुखद है, वह यहीं रुक जाए, घर के भीतर न आए।”
आध्यात्मिक रूप से, इस छाया से सूर्य और चंद्रमा की रक्षा आवश्यक है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय स्वच्छ जल से सरल सूर्य अर्घ्य दें और सच्चे मन से प्रार्थना करें—
“हे सूर्यदेव, मेरी प्राणशक्ति को बलवान और मेरे मन को स्पष्ट रखिए।”
यह धीरे-धीरे भय को काटता है। सोमवार को, यदि बड़ा व्रत न भी कर सकें, तो रात में भारी भोजन से बचें, अधिक सादा पानी पिएँ, और किसी शांत ज्योतिर्लिंग या चंद्रमा की तस्वीर के सामने पाँच मिनट शांत बैठकर केवल श्वास-प्रश्वास पर ध्यान दें। गुलिक/मांडी योग वालों के लिए नियमित महामृत्युंजय जप (केवल 11 बार प्रतिदिन भी) सच्ची श्रद्धा से किया जाए तो सौ अलग-अलग उपायों के पीछे भागने से कहीं अधिक गहराई से काम करता है।
शिव उपासना इस मृत्यु-छाया को थामने का एक अत्यंत सुंदर मार्ग है। उपासना का प्रकार इस बात पर चुना जा सकता है कि आपका जीवन कैसा महसूस हो रहा है।
यदि आप हमेशा दूसरों के दुख से घिरे रहते हैं—अस्पतालों में काम, बीमार रिश्तेदारों की देखभाल—तो चिकना काला पत्थर या नर्मदा शिवलिंग उपयोग करें। उसे स्वच्छ आसन पर रखें, सीधे फर्श पर नहीं। शनिवार को उसमें थोड़ा काला तिल मिला जल अर्पित करें और “मृत्यु से बचाव” नहीं, बल्कि उसके सामने साहस और स्थिरता की प्रार्थना करें।
यदि भय अधिक मानसिक है—पैनिक अटैक, मृत्यु का अत्यधिक चिंतन, अस्पताल जाने का डर—तो स्फटिक (क्रिस्टल) शिवलिंग रखें। उसे शांत, उजले कोने में, संभव हो तो उत्तर-पूर्व में रखें। सादा जल या थोड़ा गुलाब जल से अभिषेक करें और कुछ मिनट शांति से बैठकर स्फटिक पर पड़ती रोशनी को देखें। इससे चंद्रमा में पुनः सत्त्व आता है।
यदि गुलिक आपके कार्य-स्थल और निर्णयों को बाधित कर रहा है, तो कार्य-मेज़ के पास एक छोटी, स्वच्छ शिव की तस्वीर या लिंग रखें, उस क्षेत्र को बहुत साफ रखें—न धूल, न पुराने तार—और कार्यदिवस की शुरुआत एक जागरूक “ॐ नमः शिवाय” से करें।
एक महत्वपूर्ण बात याद रखें: गुलिक और मांडी यह दिखाते हैं कि जीवन आपको कहाँ यह स्वीकार करने को मजबूर करता है कि एक दिन सब कुछ समाप्त होगा। यदि आप इस सत्य से लड़ते हैं, तो भय बढ़ता है। यदि आप इसे स्वीकार कर लेते हैं और जीवन के उस क्षेत्र—शरीर, कमरा, मंदिर, नाली, स्मृति—को साफ कर लेते हैं, तो यही योग आपको संकट में मजबूत, अस्पताल की परिस्थितियों में विवेकशील, और कठिन समय से गुजर रहे दूसरों के प्रति करुणामय बनाते हैं। अनेक अच्छे डॉक्टर, हीलर और कठिन स्थानों पर सेवा करने वाले लोग इन्हीं योगों को लेकर चलते हैं
Kaushik dave
🌑 Bhay: The Gaurav Tiwari Mystery — Review
Writer / Reviewer: Kaushik Dave
Category: Web Series Review / Thriller / Horror
कहानी (Story)
Bhay: The Gaurav Tiwari Mystery एक रहस्यमयी और थ्रिलर वेब सीरीज है, जो भारत के पहले प्रसिद्ध पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर गौरव तिवारी की असली जिंदगी और उनके द्वारा जांच की गई अद्भुत घटनाओं पर आधारित है।
इस सीरीज में हमें दिखाया गया है कि कैसे गौरव तिवारी ने अनजानी शक्तियों, भूत-प्रेत और असामान्य घटनाओं की जांच की। कहानी सिर्फ डराने के लिए नहीं है, बल्कि यह दर्शकों को मानसिक और भावनात्मक स्तर पर जोड़ती है।
हर एपिसोड में रहस्य धीरे-धीरे खुलता है और दर्शकों को यह एहसास दिलाता है कि डर केवल भूत-प्रेत में नहीं, बल्कि इंसान के मन में भी हो सकता है। यह वेब सीरीज आपको सिर्फ डराने वाली कहानी नहीं देती, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देती है कि असली जीवन में भी ऐसे रहस्य मौजूद हो सकते हैं।
अभिनय (Performance)
इस वेब सीरीज का सबसे मजबूत पहलू है अभिनय।
करण टैकर (Gaurav Tiwari) — उन्होंने अपने किरदार में पूरी तरह घुल-मिलकर दर्शकों को भरोसा दिलाया कि वे सच में एक पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर हैं। उनका शांत और गंभीर अंदाज कहानी की गंभीरता को और बढ़ाता है।
कैल्की कोएचलिन — वह डर और संवेदनशीलता का सही मिश्रण पेश करती हैं। उनकी भाव-भंगिमा और प्रतिक्रियाएं कहानी में रोमांच और मानवता का संतुलन बनाती हैं।
अन्य कलाकार — सोलोनी बाटरा, डेनिश सूद और निमिषा नायर जैसी कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं में असरदार प्रदर्शन किया है।
अभिनय की वजह से कहानी सिर्फ हॉरर नहीं, बल्कि मनोरंजन और रहस्य का बेहतरीन मिश्रण बन जाती है।
निर्देशन और तकनीकी पहलू (Direction & Technical Aspects)
निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी ने कहानी के डर और रहस्य को और गहरा बना दिया है।
साउंड डिज़ाइन और म्यूजिक माहौल को और डरावना बनाते हैं।
इस सीरीज में तेज jump scares कम हैं, लेकिन धीमे और सोच-समझकर डराने वाले दृश्य दर्शकों को गहराई से जोड़ते हैं।
निर्देशक ने कहानी को ऐसा पेश किया है कि हर दृश्य का महत्व है। कहीं भी दर्शक का ध्यान भटकता नहीं, और हर एपिसोड खत्म होने पर अगला एपिसोड देखने की उत्सुकता बनी रहती है।
दर्शकों की राय और लोकप्रियता (Audience Response & Popularity)
IMDb जैसी वेबसाइटों पर सीरीज की रेटिंग लगभग 8.3/10 है।
मीडिया और दर्शकों दोनों ने इसे धीमे लेकिन गहरे डर वाली थ्रिलर के रूप में सराहा है।
जो दर्शक तेज हॉरर पसंद करते हैं, उनके लिए pacing थोड़ी धीमी लग सकती है।
सीरीज की सबसे बड़ी खासियत है कि यह डर और रहस्य को वास्तविक जीवन की झलक के साथ पेश करती है, जिससे दर्शक जुड़ाव महसूस करते हैं।
विशेषताएँ (Highlights)
वास्तविक जीवन पर आधारित — गौरव तिवारी की असली जिंदगी और उनकी जांच से प्रेरित।
मनोरोग और मानसिक तनाव पर जोर — डर केवल भूत-प्रेत में नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी।
धीमी pacing, गहन रहस्य — jump scares कम हैं, लेकिन रहस्य धीरे-धीरे खुलता है।
बेहतरीन अभिनय — करण टैकर और कैल्की कोएचलिन की शानदार प्रस्तुति।
तकनीकी गुणवत्ता — म्यूजिक, साउंड और सिनेमैटोग्राफी का उत्कृष्ट मिश्रण।
अंतिम विचार (Final Verdict)
Bhay: The Gaurav Tiwari Mystery एक बेहतरीन पैरानॉर्मल थ्रिलर है जो दर्शकों को हल्का डर, रहस्य और वास्तविक जीवन की जाँच में डुबो देती है।
यदि आप डर और रहस्य दोनों का अनुभव करना चाहते हैं, यह वेब सीरीज जरूर देखें।
जो लोग तेज़ हॉरर पसंद करते हैं, उनके लिए pacing थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन कहानी की गहराई और रहस्य इसे अलग बनाते हैं।
Rating: ⭐ 8.3 / 10
Writer / Reviewer: Kaushik
shabdh skhi
अकेलेपन का ये सफ़र एक सजा जैसा है,
हर पल में बस दिल का दर्द बसा है।
- shabdh skhi
Kaushik dave
મનના રંગ
મનના રંગ માં ગૂંથાય મારા સપના,
પ્રેમના તારું બંધાય, નયનના અર્પણા।
દુનિયા ને જોઈને ક્યારેય નહીં હારું,
હૃદયની આ વાત, ક્યારેય નહીં છુપાઉં।
સંઘર્ષના રસ્તા, હવે મારો સાથી,
હાસ્ય-બિન્નુ સ્મિત, બને જીવનની ભાતી।
પ્રતિ દિવસ નવું, નવો એક મઝો લઈએ,
હકીકત અને કલ્પના ને મળી ભેગું ભળીએ।
જીવન એ માત્ર સમય નથી,
એ મારો સાથ છે, મારો અવાજ છે, મારો સ્વપ્ન છે।
શબ્દો માં લખું હું મારા દિલની વાત,
જ્યાં દરેક શબ્દ, બને કોઈની પ્રેરણાનું ગીતાત।
Nilesh Rajput
पहन के ताज जो सर पे बहुत इतराती है,
देखो कहीं वो शहर बेवफ़ाओं का तो नहीं।
Dr Sonika Sharma
लड़के वाले बहुत सरल थे, इतने सरल कि उन्होंने साफ़-साफ़ कह दिया—
“हम दहेज नहीं लेते…
बस शादी बिना सुविधा के नहीं करते।”
लड़की के पिता ने राहत की साँस ली।
मन ही मन बोले चलो अच्छा हुआ लालची लोगों से पाला नहीं पड़ा और भगवान का नाम लिया।
लड़का पढ़ा-लिखा है।
लड़के की माँ ने सूची आगे बढ़ाई “ये कोई दहेज नहीं है,
बस कुछ जरूरी व्यवस्थाएँ हैं—
कार, फर्नीचर, एसी आदि और हाँ… लड़के की पढ़ाई पर जो खर्च हुआ था, वो तो आपको समझना ही पड़ेगा।”
पिता ने सिर हिलाया।
समझने की उम्र बहुत पहले निकल चुकी थी।
लड़की चाय लेकर आई।
उसने कप रखते हुए पूछा “आंटी, क्या इसमें GST लगेगा
या ये सब परंपरा के अंतर्गत आता है?”
कमरे में गला साफ़ करने की आवाज़ फैल गई।
लड़के के पिता मुस्कुराए “बेटी, तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है,
असल ज़िंदगी में ऐसे सवाल नहीं पूछते।”
लड़की बोली— “असल ज़िंदगी में ही तो
लड़कियाँ बिकती हैं अंकल।”
अब तक कमरे में सन्नाटा पसर चुका था ।
लड़के ने स्थिति सँभालने की कोशिश की “देखिए, हमें किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है, पर समाज है… लोग सवाल करेंगे।”
लड़की ने जवाब दिया—
“तो शादी हम कर रहे हैं या समाज?”
लड़के की माँ फुसफुसाईं “लड़की ज़्यादा बोलती है।”
लड़की मुस्कुरा दी—
“हाँ आंटी,
इसीलिए मेरी कीमत भी ज़्यादा लग रही है।”
लड़की बोली - चाय ठंडी हो गई और रिश्ता भी।
लड़के वाले उठे और जाते-जाते लड़की की माँ बोलीं—
“ऐसी सोच के साथ लड़की की शादी मुश्किल होती है।”
लड़की ने दरवाज़ा खोलते हुए कहा— "और ऐसी शादियों के साथ लड़की की ज़िंदगी बर्बाद हो जाती हैं।”
दरवाज़ा बंद हुआ।
लड़की ने चैन की साँस ली.....।
- Dr Sonika Sharma
kattupaya s
Goodnight friends...sweet dreams
S A Y R I K I N G
मैं पूजता हूँ अपने इश्क़ को, दीये की तरह जलना तो लाजिमी हैं मेरा...
मेरा इश्क़ ही, मेरी इबादत है..... (जिसमें मैं खुद जल कर उसे रोशनी देता हूं और अपने तले अंधेरा रखता हूं
vikram kori
🌹 Romantic bites
Part 1
“वो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं,
मेरी ज़िंदगी की वजह है…” 💞
S A Y R I K I N G
अपनी ही ज़िन्दगी से अपने लिए ही कुछ वक़्त नहीं निकाल पा रहे हो इतनी तेज़ी से कहाँ चले जा रहे हो ?
Rushil Dodiya
khilte hai gul yahan khilke bikharne ko
milte hai dil yahan milke bichhadne ko
- gopaldas niraj
Jyoti Gupta
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Rushil Dodiya
बातें भूल जाती हैं, यादें याद आती हैं
ये यादें किसी दिल-ओ-जानम के
चले जाने के बाद आती हैं
- आनंद बक्षी
Rushil Dodiya
नदियों के ये गहने है
जो पर्वतों ने पहने है
ये जो पेड़ो की छांव घनी है
ये हमारे लिए तो बनी है
ये रस्ते और ये राहें
पुकारे खोल के बाहें
रोज़ हो सफर पर ऐसा कहां ?
અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ
શિર્ષક: રોજ
શબ્દો રમે છે રોજ રેતીના પટાગણમાં,
ઉમંગ ઊઠે છે રોજ ઘરના આંગણમાં.
છાસ વારે છમકલા થાય છે રોજ રણ મેદાનમાં,
દાવ પર દાવ ગોઠવાય છે રોજ યુદ્ધના મેદાનમાં.
હોસ અને જોશ ખોવાય છે રોજ પ્રેમના બંધનમાં,
લાગણીઓ તણાય છે રોજ આંસુના સબંધમાં.
કિનારાની કડ ધોવાય છે રોજ ભરતીની ઓટમાં,
સીપ અને સંખલાવો ઘડાય છે રોજ ભીની રેતમાં.
સફેદ રણની ચાદર ઢળાઈ છે રોજ આ ચાંદની રાતમાં,
એક મીઠો સાદ સંભળાય છે રોજ આ મેદાનમાં.
મારી જિંદગીનું સિંચન થાય છે રોજ ફૂલોના બાગમાં,
છતાં જીવન કરમાય છે, રોજ "સ્વયમ'ભુ"આ મેદાનમાં.
અશ્વિન રાઠોડ "સ્વયમ’ભુ"
Rushil Dodiya
ये आँखें बताती है सच सच कहानी
के मासूम होती है मासूमियाँ भी
- ऋषिल
Rushil Dodiya
क्या कहूं कैसे लगते है दिल पे जुल्फों के साए
कोई भुला राही जैसे मंज़िल पा जाए
या कोई दिल तूफान का मारा
दर्द की लहरों पे आवारा
प्यार का साहिल पा जाए
- मजरूह
Nilesh Rajput
"कायर हो तुम सब, जो वफ़ादारों से महोब्बत करते हो,
हम तो शायर हैं जनाब, हम तो बेवफ़ाओं से महोब्बत करते हैं।"
Nikhil
એક ગુલાબ બાવળ વચ્ચે જંગલમાં ઊગ્યું....just Find out who are you!
- Nikhil
Fact Of Love
मेरा मेहबूब 💔
कितने दीवाने रख रखे है गोद में
एक आने लग जाता है
तो एक जाने लग जाता है
और क्या मोहब्बत है दुनिया को आपके पैरों से जो भी आता है दबाने लग जाता है
yeash shah
पितृ दोष : मेरे दृष्टिकोण से।
पारम्परिक ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष के नाम पर विधि विधान का प्रावधान है, सनातन विचारधारा बरसों से पूर्व जन्म और आने वाले जन्मों में विश्वास रखती है, मृत्यु के बाद व्यक्ति आत्मा के रूप में पितृ लोक ,नाग लोक , वैकुंठ में निवास करता है, ऐसी विचारधारा है, पहले पितृ दोष के कारण जान ले।
यह कहा जाता है, कि आपकी कुंडली में अगर ९, १२वे घर में शनि और सूर्य का योग हो, या राहु और सूर्य का योग हो, अथवा ९,१२ वे घर में बैठे सूर्य को शनि या राहु देखते हो ,तो आपकी कुंडली में पितृ दोष हो सकता है। अब इस के लक्षण जान ले।
यदि आपके घर में बरसो से आर्थिक संकट हो, बिना किसी भी कारण बीमारियां लगी रहती हो, बार बार घर की मरम्मत करवानी पड़ती हो, घर में लगाए पौधे जल्दी सुख जाते हो, घर में निरंतर अशांति और क्लेश रहता हो, आपके घर के कमाने वाले सदस्य के ऊपर ऋण हो, घर की स्त्री या बच्चे असाध्य बीमारी से ग्रस्त हो, और अक्सर घर के बाहर कुत्ते रोते हो, बिल्ली और बिल्ला झगड़ते रहते हो, तुलसी आप के घर में लगने पर बार बार जल जाती हो, गाय या कुत्ते आपके घर की रोटी खाना बंद कर दे, तो यह सब पितृ दोष के लक्षण है। ऐसा क्यों होता है? जब यह सवाल पूछा जाए तो ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते है कि आपके मरे हुए स्वजन आप से नाराज है, उनकी इच्छा अधूरी है, इसी लिए वह लोग आपको तंग कर रहे है।
आइए इस के उपाय भी जाने, १.पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाए।२.नारायण बलि की पूजा करवाए ३. विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करे। ४. साल में एक बार सत्यनारायण की कथा करे , ब्राह्मणों को भोजन दे। ५. कौओं की सेवा करे। ६. नारायण विधान का पूजन करवाए। ७. पितृ स्त्रोत्र का पाठ करे। ७. जगन्नाथ पुरी, द्वारिका, तिरुपति बालाजी या बद्रीनाथ में से किसी भी एक मंदिर में पितरों के नाम का पूजन करवाए। ८. वृद्धाश्रम में दान पुण्य करे। ९. घर के मटके के पास घी का दिया जलाए और प्रार्थना करे।
अब इस को तार्किक दृष्टि से भी समझे,
सूर्य १ राशि में १ महीना रहता है, इस तरह १ साल में वह १२ राशि का चक्र पूर्ण करता है। हमारे पास १२ लग्न है, तो हर साल में १ महीना ऐसा होगा जब किसी की कुंडली में सूर्य १२ वे घर में होगा, ही होगा। अब रोज भारत में ६०००० से ६९००० के बीच में बच्चे जन्म लेते है, यानी कि १ महीने में मान ले कि १८००००० बच्चे पैदा हुए, अब शनि की ३,७,१० और राहु की ५,९ दृष्टि है, तो ५/१२ घर पर शनि या राहु का प्रभाव होगा। जो ४२% संभावना है, तो हर साल १ महीने में ७,५६००० बच्चे पितृ दोष ले कर पैदा होंगे। और क्या सभी के पितृ उन से नाराज रहेंगे? क्या सभी दरिद्र होंगे? यह बात समझ से बहार है।
Juhi Upadhyay
क़ाफ़िया मिलाएँ
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मोहब्बत करोगे तो रोना पड़ेगा ओ जानम ये दिल अपना खोना पड़ेगा
कभी आंसू ख़ुशी-ग़म के पीने पड़ेंगे कभी चुपके दामन भिगोने पड़ेंगे
कभी ख़्वाब जुड़ के भी टूटा करेंगे तो सोचो ख़ुद को संभालोगे कैसे
मोहब्बत करोगे तो रोना पड़ेगा ओ जानम ये दिल अपना खोना पड़ेगा
【juhi]】 upadhyay
Saroj Prajapati
गर्दिश के दिनों की भी अपनी ही है खास बात
ना जाने कितने ही चेहरों से उतर जाते झूठे नकाब
और जमाने की ठोकरो से बुलंद हो जाता खोया विश्वास।।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati
Nilesh Rajput
मेरा इश्क़, तुम्हारे इश्क़ जैसा हो, ये ज़रूरी तो नहीं,
तुम भी मुझसे ही मोहब्बत करो ,इश्क़ में ये ज़रूरी तो नहीं।
तेरी बेवफ़ाई पर तुझे भुला भी दूँ अगर,
फिर से तुझ से ही इश्क़ हो जाए, ये ज़रूरी तो नहीं।
Dada Bhagwan
हमें जीवन में कुछ न कुछ पाने की चाह होती है। और वही वस्तुएँ प्राप्त हो जाने पर कुछ नया प्राप्त करने की इच्छा होती है। ऐसे में जीवन में संतोष कैसे प्राप्त करें? क्योंकि जीवन में आगे बढ़ने की चाह से हम खुद से बेहतर व्यक्तियों से अपनी तुलना करके आगे बढ़ते हैं। ऐसे में असंतोष की भूख और बढ़ जाती है और जीवन फिर से दुःखमय लगने लगता है। ऐसा क्यों होता है? आइए जानें इस विडीयो में...
Watch here: https://youtu.be/nb3Jzk_brww
#lifelessons #lifelearning #trending #hindivideo #DadaBhagwanFoundation
Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
आयुष्याच्या काठावर
Narendra Parmar
कभी कभी दिल की धड़कनें मेरी रुक जाती है
जब कोई बात पर तुम मुझसे ख़फ़ा हो जाती है ।।
नरेन्द्र परमार " तन्हा "
Soni shakya
"आओ मेरे करीब उतना ही जितना कि,
कोई ख्वाब अपनी ख्वाहिशों के करीब होता है"
- Soni shakya
Gajendra Kudmate
उनसे नजरें जब मीली थी
रुख से आँचल ढलका था
आँखों से हुई थी शरारत
दिल में कुछ छलका था
गजेंद्र
વૈભવકુમાર ઉમેશચંદ્ર ઓઝા
कत्लही करना है तो खंजर ही चला देते जालिम।
यूं तिरछी नज़रसे घायल क्यों कर गए?
- स्पंदन
Yuvraj verma
Mai ghav esa kar jaunga
Tumhe bina bataye mar jaunga
Tum sochti ho tumhare bina mera kya hoga
Me tumhe amar kar jaunga
Meri umar bhi tere naam kar jaunga
Tu ek bar ha to keh, hukum kar
Fir dekhna haste haste me ye jindgi nilam kar jaunga
Shailesh Joshi
કોઈપણ નાના મોટા દુ:ખનું
ખાલી રટણ કરવાથી,
વાગોળવાથી, કે પછી
નાસીપાસ થવાથી
જે કોઈ વ્યક્તિ પોતાને બચાવી શકે,
તો કોઈનું પણ નસીબ એટલું ખરાબ નથી હોતું,
જેટલું આપણને જોવા સાંભળવા મળે છે.
- Shailesh Joshi
Miss writer
kisi ne puchha ki... jiska milna namumkin lag raha hai agar mahadev ne use hi tumhare naseeb me likh diya toh kaisa lagega???
mene bhi jawab me kaha-
lagega jaise zameen par hai jannat,
jaise puri ho gayi hai janmo ki mannat,
jise dur jate dekh aate the ansu,
ab se har subah me usi ke pass hu,
dil jiske liye dhadakta tha,
aaj wo sine se laga hai!
jiski ek jhalak ke liye roti thi,
ab uske pair chumti hu.
Awantika Palewale
ये इश्क़ के रास्ते मुझे नहीं खिंचते,
मैं अपने रास्ते ख़ुद बनाती हूँ।
ख़्वाबों को किसी क़ैद में रखना मुझे नहीं आता,
मैं टूटे हौसलों को भी उड़ान सिखाती हूँ।
मुझे मंज़िलों का शोर कभी लुभाता नहीं,
मैं ख़ामोशी में भी अपनी आवाज़ पाती हूँ।
जो लिख दे मेरी तक़दीर किसी और के नाम,
ऐसी हर एक क़लम को मैं मिटाती हूँ।
तजुर्बों की आग में जलकर भी शिकायत नहीं,
मैं राख से फिर ख़ुद को सजाती हूँ।
मुझे भीड़ का हिस्सा बनना मंज़ूर नहीं,
मैं अलग चलकर ही अपनी पहचान बनाती हूँ।
Mansi
अगर 2026 में सच में दुनिया खत्म होने वाली है तो वो कहावत सच होगी
जीने के है बस चार दिन 😂😂😂
AKHILABALARAJ
maybe the story going to be touch everyone's heart
AKHILABALARAJ
beautiful and unforgettable story.msybe it going to deep touch to everyone's heart
ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત
अपेक्षाएं निष्फलता को जन्म देती है
और इच्छाएं विकृति को,
जब इच्छा और अपेक्षा छोड़ा जाए तो इंसान परम आनंद को प्राप्त कर सकता है।।
- ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત
Rohan Beniwal
15 अगस्त 1947,
हवा में एक अजीब सी महक थी—आज़ादी की महक।
भारत आज़ाद हो चुका था।
जगह-जगह तिरंगा शान से फहरा रहा था।
हर तरफ उमंग और उत्साह का माहौल था।
पर कुछ तो अजीब था, जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया।
पर क्या?
अंग्रेज या तो लौट चुके थे या लौटने की तैयारी में थे,
पर उनसे कुछ तो छूट गया था।
कुछ ऐसा जिसे उनके साथ ही लौट जाना चाहिए था, पर वह भारत में ही रह गया।
उस वक्त वह क्या था, किसी को पता नहीं था।
यह भी नहीं पता था कि अंग्रेज इसे भूल गए हैं या जानबूझकर छोड़ गए हैं।
पर आज़ादी के इतने साल बाद अब पता चल ही गया कि क्या छूटा था—
अंग्रेज तो चले गए, पर 'Divide and Rule' की नीति को यहीं छोड़ गए।
वही 'Divide and Rule', जिसके दम पर अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 साल तक राज किया।
अब यह नीति हमारे नेताओं के हाथ लग गई है।
और मानना पड़ेगा, जिस तरह से हमारे नेताओं ने इसका इस्तेमाल किया है, उस तरह से तो अंग्रेज भी नहीं कर पाए थे।
अगर कोई मुझसे पूछे कि आज़ादी से पहले और अब में क्या अंतर है?
तो मेरा जवाब होगा—
बस इतना ही कि पहले हम नंगे ही अंग्रेजों की गुलामी करते थे और अब लोकतंत्र के लिबादे में नेताओं की गुलामी करते हैं।
आज़ादी से पहले हमें पता था कि हम गुलाम हैं, और अब नहीं है।
क्या हम सच में आज़ाद हो गए हैं?
SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》
કોઈને એવો વહેમ હોય કે પૈસા ભેગા કરીને ક્યાં જશો તો એ લોકોને માત્ર એટલું જ કહીશ કે ખિસ્સા ખાલી કરીને એક વાર હોસ્પિટલ, સ્કૂલ કે માર્કેટમાં આટો મારી લેવો એટલે સમજાય જશે કે પૈસા ભેગા કરીને ક્યાં જશુ.... (આજના સમયની કડવી સચ્ચાઈ) ✅✅
- SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》
Ghanshyam Patel
गलत जगह बंध जाने से
अच्छा है
उम्र भर भटकते रहना ।
Rahul Budiya
नज़र में आपकी नजारे रहेंगे,
पलको पर चांद सितारे रहेंगे।
बदल जाए तो बदले ये जमाना,
हम तो हमेशा आपके दीवाने रहेंगे।।
- Rahul Budiya
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
™••..✍️
उम्र भर की नेकी, बस एक लम्हे में
खाक हो गई,
जैसे ही एक गलती हुई, शख्सियत
नापाक हो गई,
हज़ार बार सँवारा था जिसे अपनी
वफ़ाओं से,
वो सारी अच्छाइयाँ, आज चंद
शिकायतों की खुराक हो गई,
नेकी करते रहिये, “क्योंकि इंसान
भूल जाता है, पर ईश्वर नहीं,,☝️
🙇♂️ जय श्री कृष्णा 🙇♂️
🙏 सुप्रभात 🙏
ᚔᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚔᚓᚓ
#motivatforself
ᚔᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚓᚔᚓ
==༆ ☆🇶ⁱʰˢɐ∀ ᭄==
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Hemant pandya
સમય તું શું મારૂં પારખું કરે? મે તો કદી તારી પરીક્ષા નથી કરી,
તું બદલાયો પણ હું એનો એજ
અડીખમ ઉભો
આવ્યા અઢળક વંટોળ વાદળ વાવાઝોડા બાઢ
પણ હું અડીખમ ઉભો
તે બધું છીનવી ને પણ જોયું.. છતા જો હું ફરી બેઠો થઈ અડીખમ ઉભો..
સમય તું શું મારૂં પારખું કરે? મે તો કદી તારી પરીક્ષા નથી કરી,
- Hemant pandya
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