Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
kajal jha

ज़िंदगी के सफर में, दिल ने कई मोड़ देखे, कभी खुशियों से चमका, कभी दर्द से टूटे. ​पर तेरी यादों का साया जब भी साथ आया, टूटते हुए ख्वाबों को भी मुस्कुराना सिखाया. - kajal jha

Rashmi Dwivedi

💕💕इस दुनिया को क्या समझा था💕💕 इस दुनिया को क्या समझा था, सपनों का कोई मेला होगा, हर चेहरे के पीछे सच्चाई, हर हाथ सच्चा सहारा होगा। पर यहाँ तो मुस्कान नकली है, और रिश्ते भी सौदों जैसे, जहाँ दिल नहीं तौले जाते, बस गिने जाते हैं पैसों जैसे। जिसे अपना समझा था मैंने, वो पराया ही निकला आखिर, इस दुनिया को क्या समझा था, यहाँ हर कदम है ज़ख़्म का ज़ाख़िर। फिर भी मैं टूटूँगी नहीं, ये हौसले मेरे साथ रहेंगे, दुनिया चाहे जो भी हो, मेरे सपने हमेशा सच्चे रहेंगे।

Ranjeev Kumar Jha

सुविधा का शाप और समाधान! ___-------------------_______----------___ मनुष्य ने जब से सभ्यता का चोला पहना, तब से उसने अपने जीवन को आसान बनाने के लिए साधनों का आविष्कार किया। अब प्लास्टिक से बनी पोलिथीन। यह पतली-सी थैली, जो दिखने में जितनी हल्की है, हमारे जीवन पर उतनी ही भारी पड़ रही है। कहना कठिन है कि इसका समाधान क्या है। शहरों की सड़कें, गांव की पगडंडियां, नदियों के घाट और खेतों की मेड़ें—सब इस “सुविधा” के बोझ तले कराह रही हैं। जल स्रोत कचरे से पट चुके हैं, गली-मोहल्ले में नालियां जाम हैं, बरसात आते ही शहर झील का रूप ले लेते हैं। पशु इसे खाकर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं। खेतों की उपजाऊ मिट्टी दम तोड़ देती है। और तो और, जब विदेशी पर्यटक भारत आते हैं और हर जगह बिखरी रंग-बिरंगी थैलियां देखते हैं तो वे हमारी संस्कृति की भव्यता से पहले हमारे कचरे की दुर्गंध पहचान लेते हैं। यह कोई क्षणिक समस्या नहीं है। पोलिथीन की आयु सैकड़ों वर्षों की है। यानी जो थैली आज सड़क किनारे फेंकी गई है, वह हमारी सातवीं पीढ़ी को भी उपहार स्वरूप मिलेगी। और यह ऐसा उपहार है जिसे कोई भी स्वीकार नहीं करना चाहेगा। लेकिन इसके दूसरे पहलू पर भी नज़र डालनी होगी। पोलिथीन दुनिया का सबसे सस्ता और सुविधाजनक पैकेजिंग मटीरियल है। दुकानदार के लिए यह राहत है, ग्राहक के लिए सुविधा। एक छोटी-सी थैली में सौदा पैक, और न कोई झंझट, न अतिरिक्त खर्च। इसीलिए आप दुकानदारों और खरीदारों से इसे छीन नहीं सकते। यह "फैशन" नहीं, "आर्थिक विवशता" है। हम अक्सर कहते हैं—“जागरूकता से लोग बदल जाएंगे।” पर सच यही है कि महज़ जागरूकता किसी को पोलिथीन छोड़ने पर मजबूर नहीं करेगी। यह सुविधा और खर्च का मामला है। जब तक कोई ऐसा विकल्प सामने न आए जो उतना ही सस्ता और उतना ही सुविधाजनक हो, तब तक पोलिथीन की पकड़ से समाज को आज़ाद कराना मुश्किल है। तो फिर समाधान क्या है? दोष किसे दें? सरकार को? दुकानदार को? उपभोक्ता को? दोषारोपण से कोई राह नहीं निकलेगी। यह समस्या सामूहिक है और समाधान भी सामूहिक ही होगा। जैव-अवशोषित विकल्प: उद्योग जगत को ऐसे थैले बनाने होंगे जो मिट्टी में घुल-मिल जाएं। स्टार्च और कपास आधारित पैकेजिंग इस दिशा में उम्मीद जगाती है। आर्थिक प्रोत्साहन: सरकार यदि कपड़े या जूट की थैलियों को सस्ता करने के लिए सब्सिडी दे, तो दुकानदार और उपभोक्ता स्वयं उनका प्रयोग करने लगेंगे। सख़्त नीति: नियम केवल कागज पर नहीं, ज़मीन पर लागू होने चाहिए। जब दुकानदार और ग्राहक को वास्तविक जुर्माना भरना पड़ेगा, तभी व्यवहार बदलेगा। जनभागीदारी: हर नागरिक को अपनी थैली लेकर बाज़ार जाने की आदत डालनी होगी। जैसे अतीत में घर से टोकरी या कपड़े का झोला ले जाया जाता था, वही परंपरा पुनः जीवित करनी होगी। रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग: पहले से फैले प्लास्टिक को इकट्ठा कर सड़कों, ईंटों या फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल करना होगा, ताकि कचरा घटे। पोलिथीन की थैली दरअसल मनुष्य के स्वभाव का आईना है। हम सुविधा के लिए प्रकृति को दांव पर लगाने से नहीं हिचकते। किंतु प्रकृति का न्याय धीमा जरूर है, पर अटल है। यदि हमने समय रहते इस “सुविधा के शाप” का हल न खोजा, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कोसेंगी—“जिन्होंने सुविधा के लिए धरती का दम घोंट दिया।” समस्या कठिन है, पर समाधान असंभव नहीं। बस, पूरे समाज को मिलकर इस बोझिल हल्की थैली से मुक्ति का रास्ता खोजना होगा। और वह रास्ता किसी उपदेश से नहीं, बल्कि नीति, नवाचार और आदत के संगम से ही निकलेगा। “धरती न हमारी बपौती है, न हमारे साथ जाएगी; हम तो बस इसके पहरेदार हैं, जितना बचा लें उतना भविष्य का ऋण चुक जाएगा।” आर के भोपाल

Fazal Esaf

नात्यांमध्ये राजकारण हेच सगळ्यात धोकादायक खेळ असतो— इथे हृदय मत देतं, पण मेंदू कायम विरोधी पक्षात बसलेला असतो. कधी प्रेम जाहीरनामा होतं, तर कधी अहंकार सत्ताधारी पक्ष ठरतो. प्रत्येक छोटी गोष्ट मंत्रिमंडळाची बैठक बनते, जिथे निर्णय भावनांच्या सभापतीच्या हातात असतो. निष्ठा इथे बहुमत असते, आणि विश्वास ही खरी राज्यघटना. आणि जेव्हा विश्वास तुटतो, तेव्हा सगळं नातं मध्यावधी निवडणूक बनून कोसळतं... By Fazal Abubakkar Esaf

Fazal Esaf

एका कोपऱ्यात उपाशी बाळ, कोरड्या भाकरीसाठी डोळे पुसतं काळ. दुसऱ्या कोपऱ्यात हट्टाचा गजर, पिझ्झासाठी रडतो लेकरू अधीर. अश्रूंचे प्रवाह वेगळे जरी, भिजवितात तेच धरणीवरील सारी. कदाचित जगण्याची हीच विडंबना— भुकेलाही असतो एक रंग सदा... By Fazal Abubakkar Esaf

Chaitanya Joshi

અંતરના ઓરડેથી આવો મહાદેવજી આશુતોષ શિવશંકર તમે. આવીને આંગણું દીપાવો મહાદેવજી આશુતોષ શિવશંકર તમે. હૈયાના હેતે સદાશિવ આવકારીએ, નમઃ શિવાય હરપળે ઉચ્ચારીએ. દરશનનો લહાવો અપાવો મહાદેવજી...1 મહાદેવ હર નામે ઉર ધબકતુંને, પુલકિત ગાત્રે શિવને આરાધતું. માયા બંધનને મૂકાવો મહાદેવજી....2 કૃપા તમારી પળેપળે દેખાતી, ગીત તમારું જીહ્વા નિત ગાતી. છીએ તમારાં અપનાવો મહાદેવજી..3 - ચૈતન્ય જોષી. " દીપક " પોરબંદર.

Kirti kashyap

"मै ही काश हूँ" मै मोहब्बत, मै ही आस हूँ। किसी की धड़कन, किसी की साँस हूँ। मै जन्म-ओ-जन्म की प्यास हूँ। मगर चलती-फिरती इक लाश हूँ। मै अदना, मै ही ख़ास हूँ। है कई खफ़ा, किसी को रास हूँ। मै गमों का ज़िन्दा एहसास हूँ। मै तन्हाइयों का सुर्ख लिबास हूँ। मै मंज़िल-ए-राही, मै ही तलाश हूँ। किसी की रंज, किसी की अरदास हूँ। मै हासिल नही मगर सबके पास हूँ। किसी की खुशी, किसी के लबों की मिठास हूँ। मै मशहूर "कीर्ति" ख्यालों का उल्लास हूँ। मै आह, उफ्फ, मै ही काश हूँ। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Komal Mehta

I’m not the one you can control. I’m the fire that burns your demons to ashes. Komal Mehta

kattupaya s

Good evening friends

Komal Mehta

Unapologetically Me I am a relentless warrior, fierce like Rani Lakshmibai, undaunted by fear, unbroken by odds. I am shattering stereotypes. I live on my own sovereign terms and unyielding conditions. I refuse to be anyone’s puppet. My thoughts are original, my vision is unconquerable. I may stumble, I may err — but I alone face the aftermath of my choices. Why should I surrender, when I am flawless in my own authenticity? Why should I reshape myself for anyone? No one holds the right to dismantle a soul’s essence. Whenever someone dares to erode my dignity, I rise with ferocity, unmuted and unbreakable. I thunder my truth. I annihilate nonsense. I may not wear the crown of a leader, but I guard one eternal truth: only I am the protector of my being. 👑 Yes, that’s me — fearless and indomitable. 🔥 Yes, that’s me — scarred yet unshaken. 👑 Yes, that’s me — the sovereign queen of my realm. 🔥 Yes, that’s me — the hero and warrior of my own epic.

Manvika Shveta

ना कोई वादे थे, ना कोई कसमें थीं, ना मिलने की फरियाद थी, ना बिछड़ने का कोई ग़म था... बस, जाते हुए उनकी आंखों में ख़ुद का ही अक्स देख कर हमें खुदा मिल गया... - Manvika Shveta

Manvika Shveta

खामोशी मेरी जुबां थी, आज वो आवाज़ बन गई... चाहती थी जिसको बेवजह, वही अब साज़ बन गई... और मैं, बस एक कहानी बन गई...

Ranjeev Kumar Jha

परिवर्तन का ताप और स्थायित्व का तापमान! ----------------------+----------------------- भारतीय इतिहास की धारा सदियों से यही कहती आई है—अचानक उफान भले ही क्रांति का ज्वार ला दे, मगर उसका रक्तरंजित शोर स्थायित्व नहीं ला पाता। स्थिरता केवल उस परिवर्तन की देन है जो धीरे-धीरे, धरती की गहराइयों में बीज की तरह जड़ें जमाता है। रामायण में भी यही भाव है। राम वनवास जाते हैं। वनवास चौदह वर्षों का है—एक क्षणिक विद्रोह से अयोध्या को बर्बाद करने के बजाय समय की कसौटी पर तप कर लौटना ही स्थिर समाधान था। तुलसीदास ने राम के धैर्य को रेखांकित करते हुए कहा “धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपद काल परखिये चारी॥” भारत में अशोक का प्रसंग अत्यंत मार्मिक है। कलिंग के युद्ध ने अचानक परिवर्तन का प्रयास किया—लाखों लाशें, रक्त की नदियाँ, शोक से भरा सम्राट। परिणाम? वह हिंसक विजय क्षणिक साबित हुई। स्थायी परिवर्तन तब आया जब अशोक ने धीरे-धीरे बौद्ध धर्म और अहिंसा का संदेश फैलाया। मुग़ल काल में अकबर की नीति को देखिए। “सुलह-ए-कुल” एक दिन में लागू नहीं हुई। धीरे-धीरे हिंदू, मुसलमान, जैन, ईसाई—सबको साथ लेकर एक ताना-बाना बुना गया। यह धैर्य ही था जिसने स्थायित्व की नींव रखी। आधुनिक भारत में गांधीजी का उदाहरण सर्वाधिक प्रासंगिक है। “अचानक विद्रोह” का रास्ता उनके लिए आसान था, परंतु उन्होंने सत्याग्रह और असहयोग को चुना—धीरे-धीरे, पीढ़ी दर पीढ़ी जनता के भीतर अनुशासन और आत्मबल पैदा किया। यही कारण है कि स्वतंत्रता केवल तात्कालिक घटना न होकर स्थायी उपलब्धि बनी। गांधीजी के शब्द याद कीजिए— “सच्चा लोकतंत्र वही है, जो धीरे-धीरे जनता के मन और कर्म में उतरता है।” काव्य-साक्ष्य कबीर ने चेताया था“धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥” दिनकर ने भी क्रांति की उत्तेजना और धैर्य की आवश्यकता को जोड़ते हुए कहा— “बलिदान जिनका उधार है, हम उनके ऋणी सदा रहेंगे। पर धैर्य बिना इतिहास अधूरा, क्रांति के पथ पर ठहरेंगे॥” ये पंक्तियाँ बताती हैं कि बलिदान और वेग आवश्यक हैं, पर स्थायित्व के लिए धैर्य और क्रमिकता अनिवार्य है। आज भी जब हम नीतियों और सुधारों पर नज़र डालते हैं तो वही सबक सामने आता है। आर्थिक उदारीकरण 1991 में अचानक घोषणा के रूप में आया, लेकिन उसका स्थायित्व धीरे-धीरे संस्थाओं, बाज़ार की संरचनाओं और जनता की मानसिकता में बदलाव से ही सुनिश्चित हुआ। डिजिटल इंडिया या हरित ऊर्जा की योजनाएँ भी एक झटके में सफल नहीं हो सकतीं; इन्हें क्रमशः शिक्षा, तकनीक और सामाजिक व्यवहार में समाहित करना पड़ता है। भारतीय संस्कृति का गूढ़ संदेश यही है— “शाश्वतता उफान से नहीं, अविरल धारा से जन्म लेती है।” पौराणिक काल से लेकर आधुनिक युग तक हर उदाहरण इस बात को पुष्ट करता है कि क्रांति यदि स्थायी चाहिए तो वह रक्त की बूँदों से नहीं, समय की बूँदों से सींचनी होगी। अचानक उठी आँधी छत उखाड़ देती है, पर धीरे-धीरे चलने वाली हवा ही ऋतु बदलती है। इसलिए भारत का सूत्र-वाक्य यही है—“परिवर्तन हो, मगर धैर्य के साथ। क्रांति हो, मगर स्थायित्व के साथ।” आर के झा भोपाल ।

MASHAALLHA KHAN

ख्वाबो मे हूं ख्यालो मे हूं कुछ उलझे हुए सवालो मे हूँ दिन गुजरता है आती है रात बन्द कमरा है और ताले मे हूँ.

Gautam Patel

हिन्दू होने पर गर्व हो तो ही वीडियो देखना #hindu

kajal Thakur

हार गए हम इस दुनिया के शोर से, थक गए हर रिश्ते के झूठे दौर से। बस एक तेरा साथ मिले कहीं पर, जी उठें हम फिर से उस छोटे से ठौर से। तेरी झलक ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा है, तेरी यादों में ही मेरा जीना गुज़ारा है। हार मान ली है दुनिया से, मगर ऐ हमसफ़र, तुझसे मोहब्बत में अब भी दिल गुनहगार है। kajal Thakur 😊

kajal jha

"रूह से रूह का रिश्ता बना लेते हैं, चलो आज फिर मुस्कुरा लेते हैं। जो गुजर गया उसे भूल जाते हैं, जो बाकी है उसे गले लगा लेते हैं।" - kajal jha

kajal Thakur

हार गए हम इस दुनिया के शोर से, थक गए हर रिश्ते के झूठे दौर से। बस एक तेरा साथ मिले कहीं पर, जी उठें हम फिर से उस छोटे से ठौर से। तेरी झलक ही मेरी ज़िन्दगी का सहारा है, तेरी यादों में ही मेरा जीना गुज़ारा है। हार मान ली है दुनिया से, मगर ऐ हमसफ़र, तुझसे मोहब्बत में अब भी दिल गुनहगार है। kajal Thakur 😊

Manvika Shveta

"मैं भी टूटता हूँ, बस शोर नहीं करता, हर दर्द हँसी में छुपा लेता हूँ। कसूरवार तो नहीं हर बार, फिर भी इल्ज़ाम मैं ही सहता हूँ…"

SARWAT FATMI

मुझे वजह नहीं चाहिए तुम्हे हर पल याद करने के लिए .... तुम तो मेरे वो ख्याल हो जो मुझसे कभी दूर गया ही नहीं.. ..... - SARWAT FATMI

Afreen Khan

"Whenever you feel like you can't move forward, just take a deep breath. Look at the beauty of nature and let all your doubts out." Finding Peace in Beauty ☺️

Imaran

मेरे हिस्से में आँधी, तेरे हिस्से में हवाएं लिखीं, मैंने खुद को मिटाकर तेरे हिस्से में दुआएं लिखीं, और न जाने तेरी नजर कमजोर थी या नीयत खराब थी, तूने तब-तब बेवफ़ा पढ़ा, मैने जब जब वफाएं लिखीं 🖊️ imran 🖊️

Parmar Mayur

સાગરને નદી સ્પર્શ છે ત્યારે નદી નદી નથી રહેતી. બસ તે સાગરની થઈ જાય છે. હિલોળા મારી રહેલા અગાધ જળમાં. કેવું ખળખળ વહેતું સ્નેહનું ઝરણું ભળી જાય છે. વાંસળી નાં સૂર ફક્ત ગોપીઓ, ગોકુળ કે રાધાને જ નહીં. આખેઆખી પ્રકૃતિને મોહિત કરી દેવા સક્ષમ રહ્યા. સંગીતમાં સ્નેહ ભળે તો સંગીત પણ સામર્થ્યવાન બને છે. જ્યારે શબ્દો નાં સમજાય ત્યારે સંગીતના સૂરો થોડું નહીં ઘણું જ સમજાવી જતા હોય છે. દૂર થી માર્ગને જોતાં જ લાગે. માર્ગ તો સ્થીર જ રહ્યોં છે. પથિકે સમજવું પડશે. મુસાફર નાનાં નાનાં ડગલાં માંડશે . આપોઆપ મંઝીલ તરફ સંપૂર્ણ પ્રયાણ થશે. નજર ના પોંહચી શકે તે સાગરની વિશાળતા વચ્ચે પણ દ્વિપ ઉપસેલા હોય છે. ખરેખર સાગર મધ્યે પણ માટીનું તો અસ્તિત્વ દેખાય આવે છે. અરે જ્યાં માટીને નિરાંત છે ત્યાં હરિયાળી આપો આપ ખીલશે. તરવૈયાએ કિનારો પામવો જરુરી રહ્યો પણ તેને થોડો વિરામ દ્વિપ પર પણ મળી શકે. બસ જીંદગી રહી નહીં, વહી રહી હોય ત્યારે મૌન અતિશય ના શોભે. મન ભીંતર થી જે અવાજ કરે. તેનું અનુસરણ સમજણથી કરીને પરમાનંદ પ્રાપ્ત કરી શકાય છે.

Ajit

ચાલ્યા ગયા બધા એક એક કરતા વારા ફરતી મારી જીંદગીમાંથી........ હવે હું ખુદને ખુદથી બેઈમ્તીહા મહોબ્બત કરવા જઈ રહ્યો છું..... જિંદગી ની "યાદ"

kajal jha

रूह को मेरी छू कर गुज़र गया, जैसे एक ख़्वाब हक़ीक़त में उतर गया। तेरी मुस्कान का क्या ही कहूं, देख कर जिसे, हर ग़म बिखर गया।" - kajal jha

surya Bandaru

https://amzn.in/d/1ocGwD5 available on Amazon Kindle unlimited for free..

shah

*તમે ભાગ્યથી અપેક્ષા રાખશો તો તમને નિરાશા મળશે..!* *કર્મ પર વિશ્વાસ રાખશો તો અપેક્ષા કરતાં વધુ મળશે..!!*

Kamini Shah

શ્વાસોમાં ભરી લઊં આજ માટીની મહેંક ફરી આ ખુશ્બુ મળે ના મળે… -કામિની

Rj Ritu

कभी मुस्कान में छुपा, कभी आंसुओं में मिलता है, ये दिल के कोनों से उठकर रूह तक सिलता है। बिन कहे भी जो बातें समझा जाए, वो अहसास ही तो है जो रिश्तों को गहराई दे जाए। कभी हवा के झोंके सा हल्का सा छू जाता है, कभी यादों की तरह दिल में बसकर रुला जाता है। अहसास ही तो है ज़िंदगी का सबसे हसीन हिस्सा, जो दिल को जोड़ता है, जो रूह को करता है रौशन किस्सा.....

Dipika

अब रूठने की चाहत .. खुद से है.... और मनाने जैसी कोई... आरजू भी नहीं...

Dada Bhagwan

Do you know that if you accept with joy the suffering others impose upon you, then your past accounts will be settled and you will attain liberation? Read more on: https://dbf.adalaj.org/ZRQOtYpO #doyouknow #spirituality #facts #suffering #DadaBhagwanFoundation

Ajit

તું નઈ સમજે કિંમત શ્વાસની અને વિશ્વાસની....... મેં પ્રેમ રુપી પંખીડાને શ્વાસ અને વિશ્વાસ વિના તરફડીયા મારતા જોયા છે...... જિંદગી ની "યાદ"

Rushil Dodiya

ये यादें ना जाएगी हम से तुम्हारी... ऐसे बंधे है के न टूटेगी डोर हमारी... बाहों में आ साथिया ऐसे तू... - ऋषिल

Ruchi Dixit

गर्भनाल से छूटने के बाद हम उस नाल को भूल जाते हैं और पकड़ना शुरू कर देते हैं बस कठिनाई इतनी है! कष्ट यही है।। - Ruchi Dixit

jagrut Patel pij

शमा-ए-इश्क़ जो दिल में जल उठा हो, वो हवा से क्या बुझें जो आँधियों से लड़ा हो..

Kirti kashyap

हम तो जी रहे थे तन्हा ख़ुशी से मग़र, आज फिर उसकी यादों ने रुला दिया, दिल में जल रही थी एक उम्मीद की शमा, जिसे अश्कों की बारिश ने बुझा दिया। Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

kajal jha

​कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता। जो दिल में बसता है, वो हमेशा साथ नहीं होता। ​तुम्हारी यादों में जीना भी एक सजा है, हर लम्हा तुमसे दूर जाने का अहसास कराता है। तुमसे दूर होकर भी तुम्हारे पास रहने का एहसास कराता है। ​आज भी तुम्हारी राह देखते हैं, शायद तुम आओगे, और कहोगे कि हम तुम्हें कभी छोड़कर नहीं जाएंगे। - kajal jha

Tr. RAJ KHARA

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया, वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया। - Tr. RAJ KHARA

KRISHNA DEBNATH

## ঈশ্বর কোথায় ? আকাশে নয়, নক্ষত্রের দূর ঝলকে নয়, ঈশ্বর লুকিয়ে নেই কোনো মন্দিরের অন্ধকার গর্ভে। তিনি আছেন আমাদের ভেতরে— শ্বাসের ওঠা-নামায়, হৃদয়ের অনন্ত সুরে। লালন গেয়েছেন— *“খাঁচার ভিতর অচিন পাখি কেমনে আসে যায়!”* দেহটাই সেই খাঁচা, আর সেই অচিন পাখিই ঈশ্বর, যিনি প্রবাহিত হচ্ছেন স্নায়ুর নদী বেয়ে, চক্রের পদ্মে জাগিয়ে তুলছেন আলো। রামপ্রসাদ বলেছিলেন— *“হৃদি রত্নাকরের অগাধ জলে ডুব দে রে মন, কালী বলে।”* অর্থাৎ ঈশ্বরের দরজা হৃদয়ের গভীরে, যেখানে বেদও ঘোষণা করেছে— *“আত্মানাং বিদ্ধি”*, নিজেকে জানো, কারণ নিজেকে জানা মানেই অসীমকে জানা। মেরুদণ্ডের সুষুম্না নাড়ি যেন অদৃশ্য সেতু, ইড়া আর পিঙ্গলা তার দুই প্রহরী। মূলাধার থেকে আজ্ঞা অবধি ছয় পদ্ম ফুটে আছে, প্রত্যেকটি চক্র এক একটি সোপান, যা বেয়ে আত্মা এগিয়ে যায় সহস্রার প্রান্তে। সেখানে নেই সীমা, নেই মৃত্যু, আছে কেবল আলো, অসীম শান্তি। যার ভেতরের স্নায়ুব্যবস্থা যতখানি জাগ্রত, তার ঈশ্বরচেতনা ততখানি দীপ্ত। এই দীপ্তির কারণেই শঙ্করাচার্য, বিবেকানন্দ স্বল্পায়ু হয়েও রেখে গেছেন অমরতার ছাপ। তাঁদের অন্তরের ঈশ্বর উত্তাল মহাসমুদ্রের মতোই প্রকাশিত হয়েছিল। তাহলে কি মন্দির, মসজিদ, গির্জা অর্থহীন ? না, তারা আমাদের স্মরণ করায়— যে পথ বাইরের দিকে, তার দিশা আসলে ভেতরের দিকে। বাইরের ঈশ্বরকে পেতে হলে প্রথমে জাগাতে হবে ভেতরের ঈশ্বরকে। রবীন্দ্রনাথ তাই লিখেছিলেন— *“সীমার মাঝে অসীম তুমি বাজাও আপন সুর, আমার মাঝে তোমার প্রকাশ তাই এত মধুর।”* ঈশ্বর সর্বত্র, কিন্তু সবচেয়ে বেশি তিনি লুকিয়ে আছেন আমাদের নিজেদের ভেতরেই। আমরা যতদিন না নিজের অন্তরে তাঁকে চিনব, ততদিন বাইরে খুঁজে ফিরব ব্যর্থ যাত্রী হয়ে। কারণ সত্য একটাই— ঈশ্বর কখনো দূরে নন, তিনি তো আমাদের ভেতরেই নিঃশব্দে গাইছেন অনন্ত জীবনের গান।

Imaran

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ । तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ 💘 imran 💘 - Imaran

Ajit

પરોઢે પેહલા તમને યાદ કરતા ને પછી આંખ ખોલતા એ કેમ ભુલી ગયા તમે.. ખુદની ચિંતા મૂકી ને ખબરૂ તમારી લેતા પહેલા એ કેમ ભુલી ગયા તમે.... દર્દ પોતાના સંતાડીને દિલાસો તમને આપતા પહેલા એ કેમ ભુલી ગયા તમે વિયોગમાં વિખરતા ને તમ ગળે લાગીને હળવું હસતાં એ કેમ ભુલી ગયા તમે... છેલ્લા શ્વાસ સુધી જોડે રહેવાની વાતું ને લાગણી નું ભાથું કેમ ભૂલી ગયા તમે જિંદગી ની "યાદ"

Salill Upadhyay

हकीकत को तलाश करना पड़ता हैं, अफवाहें तो घर बैठे आप तक पहुँच जाती हैं। - Salill Upadhyay

Yamini

* మన జీవితంలో ఎదురయ్యే అడ్డంకులు ఎంత తీవ్రమైనవి అయినా, ఆగకుండా ముందుకు సాగడమే సాహసం. మన గమ్యం కనబడకపోయినా, గమ్యం పట్ల నమ్మకం వదలకుండా నిరంతరం ప్రయాణం చేయాలి. ప్రతి అడుగు మన ఆశయాన్ని దగ్గర చేస్తుంది. ఆత్మవిశ్వాసం కలిగి ఉన్నప్పుడు, ఎదురు పడే ప్రతి సమస్యను జయించడం సాధ్యం అవుతుంది. అడుగులు చిన్నవైనా సరే, ఆగకుండా కొనసాగాలి. * ఎంతటి విఫలమైన క్షణాలు ఎదురైనా,ధైర్యం అనేది మనకు ఉన్న లోతైన విశ్వాసం, అది మన జీవితాన్ని ప్రగతిపరంగా మార్చడానికి శక్తినిస్తుంది. నిరాశ వచ్చినప్పుడు మన మనసును నమ్మాలి, ఎందుకంటే ఆశ అన్నది మార్గాన్ని చూపించే వెలుగును చూపిస్తుంది. నడక కొనసాగించండి, కష్టాలు మనల్ని బలపరుస్తాయి. * “మన గమ్యం ఎప్పుడు చేరుతామో తెలియదు, కానీ ఆ ప్రయాణాన్ని ఆస్వాదించడమే నిజమైన జీవితం. మన కష్టాలు, సంతోషాలు, అనుభవాలు అన్నీ కలగలిసి మన ప్రయాణాన్ని మరింత అందంగా చేస్తాయి. * “జీవితంలో ఎదురు గాలులు మన మార్గాన్ని అడ్డుకుంటాయి, కానీ వాటిని ఎదుర్కోవడమే మన బలాన్ని చూపుతుంది. మన మార్గంలో ఉన్న ప్రతి అవరోధం మన ఆత్మను సవాలు చేస్తుంది, మన హృదయం నిరీక్షణ, సహనం అనే శక్తులతో నిండిపోయినప్పుడు, ఎదురుగాలికి తట్టుకోగలుగుతుంది. * మన జీవితం అనేది ఒక పోరాటం. ప్రతి ఆటకు ఒక అంచు ఉంటుంది, ఆ అంచు మన బలాన్ని, మన కృషిని పరీక్షించే చివరి మెట్టు. మనం ఆ అంచును దాటినప్పుడు మాత్రమే గెలుపు మన సొంతం అవుతుంది.

Dhamak

હસો અને હસતા રહો એક કાબર હવામાં ખૂબ જ સ્પીડમાં ઉડતી હતી. ઉડતા ઉડતા તેની નજર નીચે રોડ પર ગઈ, જ્યાં એક ટ્રક ઝડપથી આવી રહ્યો હતો. કાબરે વિચાર્યું કે તે ટ્રકથી વધુ ઝડપી છે, એટલે તેણે ટ્રકને ઓવરટેક કરવાનો પ્રયાસ કર્યો. ​પરંતુ "ધડામ!" કરતો અવાજ આવ્યો અને કાબર સીધી ટ્રક સાથે અથડાઈને બેહોશ થઈ ગઈ. ​ટ્રકવાળાએ દયા ખાઈને તેને એક પિંજરામાં પૂરી અને ટ્રકની પાછળ મૂકી દીધી. ​થોડી વાર પછી કાબરને ભાન આવ્યું અને તેણે આસપાસ જોયું. પોતાને પિંજરામાં જોઈને તે અફસોસ સાથે બોલી, "અરે! હું ક્યાં ફસાઈ ગઈ? મને લાગે છે કે ટ્રક સાથેના એક્સિડન્ટમાં ટ્રકવાળો મરી ગયો હશે એટલે જ મને જેલની સજા થઈ છે!"😀😀 (અને ગામડાની ભાષામાં બોલી અને સંભળાવો તો બહુ સરસ લાગશે) (ટપોરી મુંબઈ ભાષામાં પણ બોલી શકો ખુબ સરસ લાગશે)

Deepak Bundela Arymoulik

मेहनतकश इंसान सुबह की किरण संग उठ जाता है, सपनों को हथेली पर रख घर से निकल जाता है। पसीने की हर बूंद में चमकती आस, मेहनत से ही बुझती है जीवन की प्यास। धरती जोतता, ईंट गढ़ता, रोज़ नए सपनों को आकार करता। उसके हाथ भले खुरदरे सही, पर दिल में उजले इरादे वही। धूप की तपिश हो या सर्दी की मार, कभी न रुकता उसका संघर्ष अपार। राह कठिन हो, बोझ भले भारी, हिम्मत उसकी कभी न हारी। न नाम की चाह, न शोहरत का गुमान, बस मेहनत ही उसका सच्चा ईमान। उसकी थकन में भी चमकता उजाला, मेहनतकश इंसान ही है जग को सहारा। DB-ARYMOULIK

archana

जिस तरह लकड़ी के तख्तों को ठोक-ठोक कर मजबूत बॉक्स बनाया जाता है, उसी तरह जीवन की मुश्किलें और चुनौतियाँ हमें मजबूत बनाती हैं। जो धैर्य और साहस के साथ हर चुनौती का सामना करता है, वह हर चोट के बाद और भी ताकतवर बनकर उठता है।

Soni shakya

"तेरे बिना हर महफ़िल, सुनी-सुनी ही लगती है पर.. 'ख़ामोशी' बहुत शोर करतीं हैं..!! - Soni shakya

rajeshwari shivarathri

“##A woman’s heart is like a mirror… even a small strike can shatter it. Just as it is hard to fix a broken mirror, it is just as hard to mend a broken heart.” - rajeshwari shivarathri

Devesh Sony

आप आये ही नहीं मुलाक़ात पर… हम चाँद को देखते रहे रात भर…✨ - Devesh Sony

મનોજ નાવડીયા

છેતરી રહ્યો છે, કેમ, પણ કોને એ, ચાલાક બન્યો છે, કેમ, કયાં સુધી એ, મોટો બની ગયો, કેમ, પણ કયારે એ, ખરેખર શું એ બીજાને ? કેમ, પણ જાતને નહીં એ.. મનોજ નાવડીયા

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

KRUNAL

ઘોંઘાટથી દૂર, એકાંતમાં મળ્યો છું મને, ત્યારે જ સમજાયું કે હું માત્ર માનવ નહિ, પરંતુ દિવ્યતાનો અંશ છું.

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास भारत विविधता में एकता ही भारत की शान हैं l दुनिया में सबसे उच्च भारत का स्थान हैं ll धर्म जाति के भेदभाव को छोड़कर बस l इंसानियत और मानवता ही पहचान हैं ll "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

Ranjeev Kumar Jha

इतिहास नरेंद्र मोदी को किसलिए याद रखेगा? ---------------------------------------------- ​नरेंद्र मोदी। ​उनके जीवन की यात्रा एक सीधी रेखा की तरह रही है—संघ के अनुशासन से शुरू होकर, संगठन की गहराई को आत्मसात करते हुए, और फिर सत्ता के शिखर तक पहुँचना। सत्ता ने उनके मूल स्वभाव को बदला नहीं, बल्कि उनकी दृढ़ता और रणनीति को और भी पैना कर दिया। ​इतिहास की किताबों में हर प्रधानमंत्री की छवि किसी न किसी ख़ास उपलब्धि से जुड़ी है। पंडित नेहरू को आधुनिक भारत की नींव रखने के लिए, इंदिरा गांधी को हरित क्रांति और राष्ट्रीयकरण के लिए, राजीव गांधी को तकनीकी क्रांति के लिए, और अटल बिहारी वाजपेयी को ग्रामीण सड़कों और स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के लिए याद किया जाता है। मनमोहन सिंह आर्थिक सुधारों और मनरेगा जैसी योजनाओं के प्रतीक बने। ​तो, नरेंद्र मोदी किसलिए याद किए जाएँगे? ​वे उस नए भारत के प्रधानमंत्री हैं, जिसने आत्मविश्वास से वैश्विक मंच पर कदम रखा। जहाँ कभी भारत केवल एक दर्शक बनकर खड़ा रहता था, आज वही भारत G20 जैसे मंचों की मेजबानी करता है और वैश्विक एजेंडा तय करता है। ​वे उस प्रधानमंत्री के रूप में याद किए जाएँगे जिन्होंने डिजिटल इंडिया का स्वप्न बोया और देश की नई पीढ़ी को मोबाइल और इंटरनेट की ताक़त से जोड़कर एक सशक्त समाज गढ़ा। उन्होंने जन धन खातों, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और आवास योजना जैसी नीतियों के माध्यम से करोड़ों ग़रीबों तक सीधे सरकार का हाथ पहुँचाया। उन्होंने सिर्फ़ नीतियों को बनाया नहीं, बल्कि उनके कार्यान्वयन की गति से राजनीति का स्वरूप बदल दिया। ​आर्थिक मोर्चे पर मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाओं ने देश को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ाया। वहीं, रक्षा और विदेश नीति में सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसे साहसिक निर्णयों ने भारत की सुरक्षा नीति में एक निर्णायक मोड़ ला दिया। जहाँ पहले भारत "प्रतिक्रिया देने वाला देश" था, वहीं मोदी युग में वह "निर्णय लेने वाला देश" बन गया। ​हाँ, उनकी यात्रा में चुनौतियाँ भी आईं—नोटबंदी, जीएसटी के शुरुआती झटके और कोविड-19 महामारी की मार। लेकिन इन सब के बावजूद, उन्होंने जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति और जन-संपर्क की ताक़त से देश को संभाला, वह उनके नेतृत्व की एक अलग पहचान बन गई। इतिहास उनसे यही कहेगा कि यह वह शख्स था जिसने भारत को आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाया, जिसने तिरंगे को वैश्विक मंचों पर पहले से कहीं अधिक ऊँचाई दी, और जिसने करोड़ों साधारण भारतीयों को यह विश्वास दिलाया कि इस राष्ट्र की यात्रा में उनका भी हिस्सा है। ​भविष्य में, नरेंद्र मोदी को भारत के पुनर्जागरण के नायक के रूप में, और आत्मनिर्भरता और आत्मगौरव के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। ​जब इतिहास अपने पन्ने पलटेगा, तो वह दर्ज करेगा—"यह वह प्रधानमंत्री था जिसने भारत को विश्व की भीड़ में खोए हुए एक राष्ट्र से उठाकर एक आत्मविश्वासी महाशक्ति बना दिया।" ​🌸 प्रधानमंत्री जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। आर के भोपाल।

ajay

सपनों की राह में काँटे बहुत मिलेंगे, अंधेरों के बाद भी सितारे खिलेंगे। मत हार, तू आगे बढ़ता जा, हर रात के बाद नए सूरज मिलेंगे। - ajay

ajay

ज़िंदगी आईने जैसी होती है, जैसा देखो वैसी दिखती है। मुस्कुरा कर जी लो हर लम्हा, क्योंकि ये फिर लौटकर नहीं आती है। - ajay

ajay

दोस्ती वो रिश्ता है अनमोल, जिसमें नहीं होता झगड़ा या मोल। साथ दे हर मोड़ पर वो, तो ज़िंदगी का हर सफ़र हो गोल।

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

नर समाज का अंंग‌ है, इसे चाहिए साथ। अच्छा साथी मिला यदि, सदा बँटाए हाथ। दोहा--262 (नैश के दोहे से उद्धृत) ------गणेश तिवारी 'नैश'

Kirti kashyap

आधी रात होने को है और नींद आँखों से कहीं कोसों दूर है। सोने की सारी कोशिशें नाकाम होती नज़र आ रही हैं। रात के इस पहर में चारों तरफ़ सन्नाटा फैला हुआ है। यही वो समय है जब मैं सबसे ज्यादा महसूस कर सकती हूँ खुद को। सुन सकती हूँ अपनी साँसों का गूंजना, अपनी सिसकियों को — जो दिन भर सुनाई नहीं पड़तीं। सुन सकती हूँ उस घड़ी की टिक-टिक को, कुछ अनकही बातों को, और मेरी अंतरात्मा की आवाज़ को जो कहीं दफ़न हैं मुझमे ही। मैं कोशिश करती हूँ खुद से वो बातें करने की, जो किसी से कही नहीं जा सकतीं। यही घड़ी की टिक-टिक मुझे बार-बार एहसास दिलाती है कि समय कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, और मैं ठहरी हुई हूँ बीते कल में। यह घड़ी अक्सर मुझे ताना देती है, मानो कह रही हो — जैसे मैं अपनी गति से बढ़ती जा रही हूँ तुम क्यों नहीं मेरे साथ साथ-साथ चल सकती? क्यों ठहरी हो बरसों से अतीत में? Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Muskurahat

Mistakea are important for motivation, Motivate yourself, mistakes are naturally, but repetition is not.....

Asmita Madhesiya

आज आइना देखा , ऐसा नहीं है पहली बार देखा , खुद को देखा , बदलते वक्त के साथ, अपने आप को देखा, कुछ नया तो नहीं, लेकिन फिर भी कुछ अलग देखा, हां शायद ये पहली बार देखा , निहारने लगी, मुस्कुराने लगी , कहीं से फुसफुसाने की आवाज आई, नजरंदाज किया, सोचा कोई ऐसा काम तो नहीं बचा, फिर भी यू ही कह गई आई, फिर क्या , और क्या , वापिस से निहारने लगी, अब तो ऐसा लगा , कोई कानों के पास कुछ कह गया, ध्यान दिया , तो ये तो मेरी ही आवाज थी, जिसकी मैंने सुनना बंद कर दिया था, मगर उसने सुनना बंद नहीं किया था , बोली , तुम खूबसूरत हो, हिम्मती हो, शक्ति से भरी हो, ठान लो तो सब पर भारी हो, हार न कभी मानना , ये जंग भले ही तुम्हारी हो, लेकिन याद रखना तुम्हारे लिए हर काम मुक्मकिन है, क्योंकि तुम एक नारी हो, क्योंकि तुम एक नारी हो।।

Shraddha Panchal

ख़ुद कितना भटका होगा वो शख़्स ?!!!!!! जो सही राह बताता है औरो को ….🙏😇🩶

Komal Arora

कुछ रिश्ते सिर्फ कान्हा तुम्हारे सहारे ही चलते हे.......... वर्ना कुछ अपनों ने तो मुझे बर्बाद देखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है..... शुक्र है आप साथ हो वर्ना किसी पर विश्वास नहीं करते....... ना हे अब साथ कोई और ना ही चाहिए... क्योंकि जहां राधा और कृष्ण हो.......... वहां किसी दूसरे की जरूरत ही नहीं........

Ahmed Baig

hey guys! do you want chapter 2 of *afsos* novel? let me know.

Vipul Borisa

में कभी मर जाऊ तो भूल कर भी याद मत करना। अपने तक रखना,एरे-गेरो के साथ बर्बाद मत करना। दुआ करना ये मेरा अंतिम चरण आख़री जन्म हो, अब कभी भी वापस ना आउ,तो फरियाद मत करना। विपुल प्रीत - Vipul Borisa

Yamini

జీవితానికి ఒక లక్ష్యం ఉండాలి లక్ష్యాన్ని నిర్దేశించుకుని, దాని కోసం శ్రమించి, విజయం సాధించాలని ప్రేరణనిస్తాయి. * "జీవితంలో విజయం పొందాలంటే లక్ష్యాన్ని నిర్దేశించుకోవాలి", "మన లక్ష్యాలను చేరుకోవడానికి, కష్టాలను అధిగమించడానికి ప్రేరణ ఇస్తాయి". * "మన లక్ష్యాలకు చేరుకోవడానికి, కష్టాలను అధిగమించడానికి, మరియు జీవితం కోసం కొత్త దారులు వెతకడానికి ప్రేరణ ఇస్తాయి." * "మీరు ఒక లక్ష్యాన్ని పెట్టుకోండి, ఆ లక్ష్యాన్ని సాధించడానికి కృషి చేయండి. అప్పుడు మీరు విజయం సాధిస్తారు." * "జీవితానికి ఒక అర్ధాన్ని, ఒక దిశానిర్దేశాన్ని ఇచ్చేది లక్ష్యమే." * స్వయం జ్ఞానం (అంటే ఆత్మజ్ఞానం, అనుభవాలు లక్ష్య సాధనకు అవసరమని) ద్వారా జీవిత పాఠాలు నేర్చుకోవాలి."

Kamlesh

થઇ ગઈ છે પિડ પર્વત સમી, હવે પિઘળવી જોઇએ... હૈયાને હેમાળેથી કોઇ પ્રિતસરિતા હવે નિકળવી જોઇએ...

Abha Dave

हाइकु

Vijay Parmar

માનસિક શાંતિ...

Kiya

10

Neha kariyaal

जो मनुष्य दुख को देख सकता है वो दुख से मुक्ति पा भी सकता है। मेरी नई कहानी "दुःख क्या है?" https://www.matrubharti.com/book/19981541/dukh-kya-hai

Manshi K

कुछ बदल जाने की उम्मीद करने से बदलाव नहीं होता है, जब तक हम कोशिश न करें, हम खुद को वही पाएंगे जहां कुछ बदल जाने का उम्मीद किया करते हैं.... - Manshi K

Kirti kashyap

अंज़ाम-ए-मोहब्बत" ऐ हवा मेरा ये पयाम देना, मोहब्बत उनको तमाम देना। कहना उन्हें ये अकेले में सबसे, के मेरी वफ़ा को मक़ाम देना। हौले से छूना ज़बी को उनकी, मेरे लबों का सलाम देना। कहना उन्हें, मेरे दिल की सदा को, वो अपने लफ़्ज़ों में नाम देना। चाहत "कीर्ति" की ही रहे उनके दिल में, बस इस मोहब्बत को अंजाम देना। Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️ पयाम = सन्देश ज़बी = माथा

Bitu

बीते कुछ सालों में मैने बदलता भारत देखा हैं, लगातार तीन योजना बनता एक PM देखा हैं। गुजरात में जन्मे आजाद भारत के बेटे मोदी का लाजवाब रुतबा दुनिया ने देखा है। उनको उनके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना देते ट्रंप को भी देखा हैं।

kattupaya s

Goodnight friends

nidhi Shrivastava

तमन्ना-ए-इश्क़ ख्वाब है हर एक इंसान का, ख़ुदा की इनायत है इबादत है, करिश्मा है जहान का, मिलती है जिंदगी में जिन्हें ये मुक्क़दस सौगात, उन्हीं के जज़्बे से ही वज़ूद रौशन है क़ायनात का ।।

Mrs Farida Desar foram

good night

Ranjeev Kumar Jha

बिहार में का बा?? ------------------ बिहार! यह नाम आते ही आँखों के सामने एक साथ कितनी ही परतें खुल जाती हैं—इतिहास का वैभव, ज्ञान की धारा, त्याग की गाथाएँ, और साथ ही विस्थापन की टीस। यही वह भूमि है जिसने दुनिया को पहला गणराज्य दिया, यही वह धरती है जहाँ से बुद्ध ने शांति का संदेश दिया, और यही वह प्रदेश है जिसकी मिट्टी में अब भी ज्ञान और परिश्रम की महक बसी है। लेकिन आज के समय में प्रश्न यही है—तो फिर क्या है बिहार का? मज़दूर बिहार का है, पर कारख़ाना गुजरात का। विद्यार्थी बिहार का है, पर कोचिंग की दुकान राजस्थान की। मरीज़ बिहार का है, पर अस्पताल दिल्ली का। दुल्हन बिहार की है, पर श्रृंगार महाराष्ट्र का। यानी श्रम हमारा, पसीना हमारा, संघर्ष हमारा—पर लाभ किसी और का। जैसे बिहार अपने ही घर में पराया हो गया हो। सच पूछिए तो बिहार आज एक विशाल एक्सपोर्ट हब है—पर यहाँ से निर्यात न मशीनें होती हैं, न वस्त्र, न फल-फूल; यहाँ से निर्यात होता है मानव संसाधन। खेत से खलिहान तक, रिक्शे से लेकर कारख़ाने तक, और अब तो सिलिकॉन वैली तक—बिहारी अपनी बुद्धि और श्रम की अमिट छाप छोड़ता है। मगर अफ़सोस, उसकी मेहनत का मूल्यांक किसी और की तिजोरी में दर्ज होता है। सोचिए— दूल्हा बिहार का, घोड़ी बिहार की, पर पहनावे का मान्यवर पंजाब का। ड्राइवर बिहार का, पर ट्रक टाटा का और फ़ैक्ट्री झारखंड की। पैर बिहारी का, पर जूता बंगाल का। यह कैसा विडंबनापूर्ण दृश्य है! जैसे बिहार एक अथक साधक है, पर वाद्ययंत्र किसी और के हाथ में है। वह गीत गाता है, पर सुर किसी और का हो जाता है। और फिर यही प्रश्न चुभता है— तो क्या बचा है बिहार का? न ढोल, न बोल, न रंग, न रस। यहाँ तक कि अस्मिता भी बिखर कर परदेस की चौखट पर खड़ी हो जाती है। पर ठहरिए! तस्वीर केवल इतनी उदास नहीं है। जो बिहार से निकला है, वही बिहार का भी है। मज़दूर जब मुम्बई में ईंट उठाता है, तो उसकी हड्डियों में गंगा का बल है। विद्यार्थी जब कोचिंग की बेंच पर बैठता है, तो उसकी आँखों में पटना के उजले सपनों की छाप है। और जब दुल्हन की माँग में सिंदूर भरता है, तो वह सिंदूर आज भी सोनपुर मेले की मिट्टी से निकली आस्था से जुड़ा है। बिहार का मतलब केवल भौगोलिक सीमा नहीं है; बिहार एक जीवित चेतना है, जो जहाँ भी जाए, अपनेपन की स्याही छोड़ जाती है। यहाँ का खेत चाहे सूखा हो जाए, पर यहाँ की कोख कभी बाँझ नहीं होती—न ज्ञान में, न श्रम में, न संकल्प में। तो हाँ, सच है कि कारख़ाना गुजरात का है, कोचिंग राजस्थान की, और पार्लर महाराष्ट्र का। पर ईंट पर ईंट चढ़ाने वाली बाँहें बिहारी की हैं, और कलम से शब्द गढ़ने वाली उँगलियाँ भी बिहारी की। बिहार का अर्थ है—श्रम, संघर्ष, साहस और संकल्प। अब दृश्य बदलना चाहिए, इस हिमखंड से अब कोई, कोशी निकलना चाहिए। श्रम, संघर्ष,साहस और संकल्प हमारा तो मालिक भी हमें ही होने चाहिए। आर के भोपाल।

sweety shah

तुम मेरा आयना हो या किरदार! इन दोनो से मे मिला हुं। - sweety amit shah shah અંશ.

Sonu Kumar

Flipkart | Metronaut Backpacks upto 81% off starting From Rs.189 👉Link : https://fkrt.co/w0Ie4N

Payal Author

https://www.youtube.com/@SoulfulWords-o7y

Payal Author

https://www.matrubharti.com Payal

Harshika Suthar Harshi True Living

🌸🌸🌸ભૂલ સુધાર તું...🌸🌸🌸🌸. રોજ મને તારાથી દૂર જવાનું કારણ ન આપ. મન ને આજ કાલ કરી ને, 'થઈ જશે' એમ કહી સમજાવું છું પણ રોજ મગજ "જોયુને?" કહીને ઉશ્કેરે છે, 'આદત ખોટી ન પાડ તું એને સબક શિખવાડ તું. એને રોજ નવા બહાના કાઢતા આવડે છે, ક્યાં સુધી આવું રહેશે, એના લીધે તારા સ્વાસ્થ્યને ન બગાડ તું. તે જાતે પસંદ કરી મનને ભ્રમિત કર્યું હતું, હવે લખીને કોરો કાગળ ન બગાડ તું . રોજ ભણકારા વાગે એના,ચિંતામાં મન વલોવાય છે, રોજ સમયના ટકોરે હૃદય ન ધબકાવ તું. પ્રશ્ન પૂછી લે આ જ વખતે , જતું કરીને, કાલ સવારની રાહ માં સમય ન બગાડ તું. મન તારું વિચલિત હોય, ત્યારે જ શબ્દ રચે છે, શબ્દાવલી ખોટી ન પાડ તું , આજ ઈશારો સમજી લે અસ્તિત્વ બચાવવાનો, નામ પૂછી ઈજ્જત ન ઉડાડ તું. ગંભીર શબ્દો થી વ્યથા કહેવાનો તારો સ્વભાવ હું જાણું છું ,મને ખોટાં પાડવાના બહાના ન બનાવ તું. પૂછ એને - ભૂલ મારી હોય તો હું સુધારું, અને તારી હોય તો સુધાર તું.# H@R$!

kajal jha

​तुम्हारे जाने का ग़म कुछ इस तरह है, कि सांसें तो चल रही हैं, मगर ज़िंदगी ठहर गई है। ​दिल में एक खालीपन सा है, जैसे आसमान से चाँद और तारों की चमक खो गई है। ​लफ़्ज़ों में दर्द को बयां कर नहीं पाते, ये आँसू हैं जो हर रात बस बहते चले जाते हैं। - kajal jha

MASHAALLHA KHAN

झूठो के बीच मै सच बोल बैठा रिस्ते नाजुक थे मै तोल बेठा बड़ी मुश्किल से कमाये थे चंद दोस्त उनका भी साथ मै यूही छोड़ बैठा.

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

kattupaya s

without u

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

kattupaya s

waiting for u

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Paagla

For More Quotes Follow My Instagram Page 👉 paagla01

Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status