Gujarati Whatsapp Status |
Hindi Whatsapp Status
Nanda H Solanki
આવતા ને કહીએ આવો
ને જતા ને કહીએ આવજો
પણ જે ના આવે એને કહીએ
કે આવ અને જો તારા વિના.......
- Nanda H Solanki
Miska
Ex अब याद आता है
जैसे गलती से dial हुआ number ☎️😅
hihihihihihiihiihihi
Dada Bhagwan
Giving happiness may not always be in our hands, but not hurting others is.
May this Christmas festival remind us to share love and spread enduring happiness: https://dbf.adalaj.org/0hU4mfkD
#merrychristmas #happiness #christmas #festivalvibes #DadaBhagwanFoundation
jighnasa solanki
🥳🥳🤗🤗
L❤VE YOU ISRO. 🥰🥰
🙏🇮🇳 🇮🇳🙏🌹JAY HIND🌹🙏🇮🇳 🇮🇳🙏
Mamta Trivedi
ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 ज्ञान का प्रकाश
https://youtube.com/shorts/WoX4EgGGH5c?si=EBib4wBjJ1X1hgdc
Raju kumar Chaudhary
https://youtube.com/@rajufilmyjunction?si=cCmXX87Yn7XPtluE“नमस्ते दोस्तों! स्वागत है आपका RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE में। आज हम जानेंगे कि कैसे आप अपनी पढ़ाई को और प्रभावशाली बना सकते हैं, और कम समय में ज्यादा सीख सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं!”
[सेगमेंट 1: लक्ष्य तय करना – 0:15-1:00]
(स्क्रीन पर नोटबुक, लक्ष्य की तस्वीरें, और अध्ययन करते विद्यार्थी दिखाएं)
Narrator:
“पहला कदम है – अपने लक्ष्य तय करना। जब आप जानते हैं कि आपको क्या हासिल करना है, तो आपकी पढ़ाई अधिक फोकस्ड और उत्पादक बन जाती है।
✅ छोटे लक्ष्य तय करें
✅ हर दिन एक नया लक्ष्य पूरा करें
✅ अपने प्रगति को नोट करें”
[सेगमेंट 2: समय प्रबंधन – 1:00-1:45]
(क्लॉक, टाइमटेबल और पढ़ाई का एनिमेशन)
Narrator:
“दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है – समय प्रबंधन।
⏰ पढ़ाई के लिए समय निर्धारित करें
⏰ ब्रेक लेना न भूलें – 25-30 मिनट पढ़ाई, 5 मिनट ब्रेक
⏰ सबसे कठिन विषय पहले पढ़ें, ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से उसमें लगे”
[सेगमेंट 3: प्रभावी पढ़ाई के तरीके – 1:45-3:00]
(फ्लैशकार्ड, नोट्स और माइंड मैप का एनिमेशन दिखाएं)
Narrator:
“तीसरा – प्रभावी पढ़ाई के तरीके अपनाएं।
📌 नोट्स बनाएं – अपने शब्दों में लिखें
📌 माइंड मैप बनाएं – जटिल टॉपिक को आसान बनाएं
📌 फ्लैशकार्ड – जल्दी याद करने के लिए
📌 रिवीजन – नियमित रूप से पढ़ाई को दोहराएं”
[सेगमेंट 4: तकनीक और संसाधन – 3:00-3:45]
(मोबाइल, लैपटॉप और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिखाएं)
Narrator:
“आज के डिजिटल युग में, आप तकनीक का सही इस्तेमाल करके और बेहतर सीख सकते हैं।
💻 ऑनलाइन वीडियो, कोर्स और ट्यूटोरियल देखें
📱 एप्स का इस्तेमाल करें – समय प्रबंधन और नोट्स के लिए
📚 पुस्तकालय और ई-बुक्स से ज्ञान बढ़ाएं”
[क्लोजिंग – 3:45-4:00]
(लोगो और चैनल के नाम के साथ बैकग्राउंड म्यूजिक)
Narrator:
“दोस्तों, यह थे कुछ आसान और प्रभावशाली तरीके अपनी पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया, तो लाइक और सब्सक्राइब करना न भूलें।
RKC GLOBAL RESEARCH CENTRE के साथ बने रहें, और सीखते रहें!”
Vineet Singh
कल्पना और यथार्थ के बीच एक कोमल सा अहसास...
'छायावाद' की शैली में नारी सौंदर्य को शब्दों में ढालने का एक छोटा सा प्रयास।
स्वप्न-सुंदरी :
लगती नभ की काया है,
या सपनों की छाया है?
रूप नहीं, यह जादू है,
मन पर कैसा काबू है।
नयनों में कुछ लाज भरी,
जैसे शीतल ओस झरी।
पलकें जब भी झुकती हैं,
साँसें पल भर रुकती हैं।
गति में लहरों का नर्तन,
वाणी में गूँजे सावन।
खुशबू-सी वह बहती है,
चुपके से कुछ कहती है।
लगती नहीं धरा की है,
रचना किसी 'कला' की है।
हाथ कभी न आती है,
बस सपना बन जाती है।
✍🏻©️
विनीत सिंह
Saliil Upadhyay
सबसे जरूरी है कि आप खुद को स्पेशल समझे...
हर इंसान में कोई ना कोई खूबी होती है। आपमें भी है। ऐसा नहीं है कि सामने वाला इंसान हरदम परफेक्ट होता है । इसलिए आप अपने आपको हमेशा स्पेशल समझिए।
Saroj Prajapati
बातों में नरमी आंखों में शरम देख
मत पालना मन में कोई गलतफहमी
क्योंकि यह इज्जत आपको नहीं बल्कि
आपके पद रूतबे को बख्शी जा रही है
जिस दिन आपके पास ये दोनों नहीं रहेंगे
उस दिन सामनेवाले का नकाब भी उतर जाएगा।।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati
Shailesh Joshi
જોયેલું નહીં, પરંતુ જે જોડે હશે,
એજ કામ લાગશે, કારણ કે
દેખાદેખી એ એક એવી જાળ છે,
જે આપણા બચ્યા-કુચ્યા નસીબનો કાળ છે,
જેમકે જે દીવામાં જેટલું તેલ હશે,
એ દીવો એટલું જ તેલ બાળશે.
- Shailesh Joshi
Jyoti Gupta
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Chaitanya Joshi
શબ્દો ઉચ્ચારે આવો સદાશિવ.
ઉરના આવકારે આવો સદાશિવ.
હૈયું બન્યું નવનીત સરીખું,
સઘળે ભોલેનાથને દેખું.
નયન પલકારે આવો સદાશિવ...૧
દર્શનની અભિલાષા નિરંતર.
કૃપા કરો હે પ્રભુ શિવશંકર.
લોચન અશ્રુ સારે આવો સદાશિવ..૨
દોષો અમારા ભોળાનાથ ભૂલો,
કરું છું આજ એકરાર ખુલ્લો.
અંતર આરાધે આવો સદાશિવ...૩
શરણાગતને સ્વીકારોને શંકર,
અંતરથી ના રાખો હવે અંતર.
ભક્ત સહારે આવો સદાશિવ...૪
- ચૈતન્ય જોષી " દીપક" પોરબંદર.
Arun V Deshpande
नव उदय पत्रिका, दिसम्बर-2025
अंक मे प्रकाशित रचना
कवी-अरुणदास " अरुण वि.देशपांडे
*****
करें प्रार्थना हम श्रीगुरुवरसे ।।
------------------------------------
श्रीगुरुचरण मे जाए हम शरण
करें प्रार्थना हम श्रीगुरूवर से ।।
हो नित्य सेवा मन से हम से ।
अंध:कारसे भरा हुवा मन भितर ।
प्रकाशमय करें गुरूवर आप इसे ।
करें प्रार्थना हम श्रीगुरूवर से ।। 1।।
दिव्य अमृतवाणी कानो पर पडे ।
गुरुवाणी सुने यही इच्छा हो इसे ।
श्रीगुरुचरण मे जाए शरण हम ।
करें प्रार्थना हम श्रीगुरुवर से ।। 2।।
मलीन मन हमेशा निर्मल रहे ।
उजालेसे मनअंतर चमकते रहे ।
सेवाभाव,भक्तिभावसे भरे इसे ।
करें प्रार्थना हम श्रीगुरुवर से ।। 3 ।।
श्रीगुरुचरण मे जाए शरण हम ।
करें प्रार्थना हम श्रीगुरुवर से
कवी अरुणदास प्रकट करें
यह भावना श्रद्धाभाव मन से ।। 4 ।।
-------------------------------------------------
करें प्रार्थना हम श्रीगुरुवरसे ।।
कवी अरुणदास" अरुण वि.देशपांडे
पुणे.(महाराष्ट्र)
9850177342
--------------------------------------------------
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
🦋...𝕊𝕦ℕ𝕠 ┤_★__
तलाश है उसकी, जिसके सामने मुझे
कुछ छिपाना न पड़े,
हकीकत जैसी भी हो मेरी, उसे कभी
बताना न पड़े,
वो जो मेरी चुप्पी को पढ़ ले और शोर
में मेरा साथ दे,
थक कर जब बैठूँ कभी, तो बस
चुपचाप हाथ में हाथ दे,
ख्वाहिश नहीं कि वो चाँद- तारे तोड़
कर लाए,
बस वही काफी है जो हर छोटी बात
पर मुस्कुराए,
हम दोनों मिलकर अपनी एक अलग
ही दुनिया बुनेंगे,
जहाँ हम एक- दूसरे की कहानियाँ
हज़ारों बार सुनेंगे,
कुछ अनकहे सपने होंगे कुछ अधूरी
सी बातें होंगी,
पर साथ उसका होगा, तो सर्द रातें
भी सुहानी होंगी,
वो मिले तो लगे, कि जैसे बरसों की
प्यास बुझ गई,
उलझी हुई सी ये जो ज़िन्दग़ी थी
अब सुलझ गई,
बस एक ऐसा शख्स चाहिए, जिसे
मैं दिल से अपना पुकार सकूँ,
उम्मीद से बढ़-कर वो मिले, और मैं
उस पर अपनी जान वार सकूँ…💞
╭─❀💔༻
╨──────────━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
╨──────────━❥
SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》
આજે તારી ગલીમાંથી નીકળ્યો હતો,
જોયું તો તારા સિવાય કંઈ જ બદલાયું ન'તું.
- SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》
Manish Kumar Yadav
सच्ची मोहब्बत तो वो है जिसमें दूर रहकर भी,
हर दुआ में सिर्फ एक ही इंसान का नाम हो।"
- Manish Kumar Yadav
Manish Kumar Yadav
ज़रूरी नहीं कि हर पल साथ रहा जाए,
बस यादों में एक-दूसरे का होना ही काफ़ी है।"
- Manish Kumar Yadav
Parmar Mayur
हक़ के लिए 'लड़ना गलत' कहां है,
कृष्ण पार्थ से कहे,यही तो 'धर्म' है।
- Parmar Mayur
Paagla
I’m not crazy; you are, because even today you’re not working towards your dreams
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
माहिर
मुस्कराते हुए दर्दों गम छुपाने में माहिर हो गये हैं l
दिखावे के खुश होना दिखाने में माहिर हो गये हैं ll
सख्त जिन्दगी हररोज इम्तिहान लेती ही रहती हैं l
जख्मों के निशान को मिटाने में माहिर हो गये हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
Raju kumar Chaudhary
Jay mata Di
ch Devendra
आवरण से अंदर के विषय का पता नहीं चलता चेहरे से चरित्र का पता नहीं चलता बाहरी दिखावे आचरण से नियत का पता नहीं चलता।
- ch Devendra
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
સમજણનાં બારણાં ઉંમર પ્રમાણે નહિં, પણ જવાબદારીઓ પ્રમાણે ઉઘડે છે.
*શુભ સવાર*
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
काम क्रोध अरु लोभ ये, तीन नरक के द्वार। जो इनसे बचता रहा, पहुंच गया उस पार।।
दोहा --368
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹 आपका दिन मंगलमय हो 🌹
Bhavesh Tejani
ખોલી દ્રાર હૈયા ના રોજ રાહ જોવ છું તારી,
જેમ પાથરી ફૂલ કેડીએ શબરી જુએ રાહ રામની.
Bhavesh Tejani
આજ હોઠે શબ્દો નો પડો દુકાળ,
કાતો પ્રીત મારી ખોટી, કાતો તે હૈયેથી લીધી વિદાય.
Neeraj Sharma
ਇੱਕ ਗੀਤ ਜੋ ਬੰਦਾ ਲਿਖਦਾ ਹੈ। ਯਾਰ ਲਈ ਓਹਦੇ ਗਮ ਚੇ ਉਹ ਵੀ ਸ਼ੁਦਾਇ ਹੋ ਜਾਦਾ ਹੈ।
( ਗੀਤ )
ਕੁਛ ਤਾਂ ਦੱਸ ਤਾਂ ਸਹੀ,
ਅੰਦਰਦੀਆਂ ਤੂੰ ਗੱਲਾਂ।
ਜਮਾਨੇ ਨੂੰ ਛੱਡਕੇ ਕਿੱਥੇ,
ਦੱਸ ਤਾਂ ਸਹੀ ਚਲਾ। ✌️
ਕਿਹੜੇ ਜਨਮ ਚੇ,
ਦੱਸ ਤਾਂ ਤੂੰ ਕਿ ਸੀ,
ਚੱਲ ਏਨਾ ਹੀ ਦੱਸਦੇ,
ਤੂੰ ਕੇਹਦਾ ਜੀ ਸੀ।
ਨਾਲ ਤੂੰ ਕਿਸਦੇ ਰਿਹਾ,
ਜਾਂ ਸੀ ਤੂੰ ਕੱਲਾ। ✌️
ਜਮਾਨੇ ਨੂੰ ਛੱਡਕੇ ਕਿੱਥੇ,
ਦੱਸ ਤਾਂ ਸਹੀ ਚਲਾ।
ਜਾਣਦਾ ਕੋਈ ਨਹੀਂ,
ਇਥੇ ਆਇਆ ਪੱਕਾ।
ਧੋਖਾ ਦੇ ਚਲਿਆ ਡੋਡੂ,
ਆਪਣਿਆ ਨੂੰ ਸਗਾ।
ਚਿੱਬੜੀ ਹੋਵੇ ਜਿਵੇ ਵੇਖੀ,
ਪੈਸੇ ਸਭ ਨੂੰ ਬਲਾ 👍
ਜਮਾਨੇ ਨੂੰ ਛੱਡਕੇ ਕਿੱਥੇ,
ਦੱਸ ਤਾਂ ਸਹੀ ਚਲਾ।
ਮਾੜੇ ਦੀ ਵੀ ਸੋਚ,
ਹੋਵੇ ਅੱਜ ਇਸ ਨਾਲ ਮਾੜਾ।
ਲੱਭਦੀ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨੂੰ,
ਹਕੂਮਤ ਫਾਸੀ ਮੈਂ ਚਾੜਾ।
ਕਰ ਕੇ ਵਿਖਾ ਤਾਂ,
ਕਿਸੇ ਦਾ ਤੂੰ ਭਲਾ..... ✌️
ਜਮਾਨੇ ਨੂੰ ਛੱਡਕੇ ਕਿੱਥੇ,
ਦੱਸ ਤਾਂ ਸਹੀ ਚਲਾ।
--------♥️---------
❤️ਨੀਰਜ ਸ਼ਰਮਾ ♥️
Anup Gajare
(आज जब विनोद कुमार शुक्ल हमारे बीच भौतिक रूप में नहीं हैं, तब यह उपन्यास और भी गहरे अर्थों में हमें स्पर्श करता है। ऐसा लगता है जैसे वे स्वयं किसी दीवार के पार चले गए हों, लेकिन अपने शब्दों की खिड़कियाँ हमारे लिए खुली छोड़ गए हों।
विनोद कुमार शुक्ल की रचनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि मनुष्य का सबसे बड़ा प्रतिरोध उसका कोमल बने रहना है, और सबसे बड़ा साहस—साधारण होना। उन्होंने हिंदी साहित्य को शोर से नहीं, मौन से समृद्ध किया; गति से नहीं, ठहराव से अर्थ दिया।
उनकी मृत्यु एक लेखक का जाना नहीं है, बल्कि उस दृष्टि का ओझल होना है, जो दीवारों में भी खिड़कियाँ खोज लेती थी।
पर साहित्य का यह नियम अटल है—जो लेखक खिड़कियाँ बनाता है, वह कभी पूरी तरह जाता नहीं।
विनोद कुमार शुक्ल को नमन।
उनकी रचनाओं की खिड़कियों से आती रोशनी हमारे समय को देर तक आलोकित करती रहे।)
कभी-कभी साहित्य में एक ऐसी खिड़की खुल जाती है, जिससे रोशनी केवल बाहर नहीं, भीतर भी गिरती है—मनुष्य के अस्तित्व, उसकी चुप्पियों, उसके छोटे-छोटे सुखों और दुखों पर। ऐसे ही क्षणों में साहित्य केवल पाठ नहीं रहता, वह आत्मानुभूति बन जाता है।
डॉ. रविभूषण का यह कथन सहज ही स्मरण में आता है कि—“जीवन में दरवाज़ों से ज़्यादा खिड़कियों का महत्व होता है।”
दरवाज़े भीतर-बाहर के रास्ते दिखाते हैं, पर खिड़कियाँ देखने की दृष्टि देती हैं—बंद कमरों में भी उजाले और हवा का बोध कराती हैं। दरवाज़े स्थूल हैं, खिड़कियाँ सूक्ष्म—वे हमें भीतर से बाहर और बाहर से भीतर देखने का विवेक देती हैं।
विनोद कुमार शुक्ल का उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ इसी सूक्ष्म दृष्टि का दस्तावेज़ है। यहाँ दीवारें जीवन की सीमाएँ हैं, लेकिन उन्हीं दीवारों में खुली खिड़कियाँ मनुष्य के भीतर बची हुई मानवीय रोशनी की गवाही देती हैं।
यह उपन्यास किसी पारंपरिक कथा की तरह नहीं, बल्कि धीरे-धीरे जलते दीपक की तरह फैलता है—न घोषणाओं में, न वैचारिक नारेबाज़ी में, बल्कि उन असंख्य सांसों में जिनसे साधारण मनुष्य अपना दिन काटता है और जीवन रचता है।
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी कथा-साहित्य के उन विरल रचनाकारों में हैं, जिन्होंने यह सिद्ध किया कि साधारण मनुष्य के जीवन में ही सबसे बड़ा रहस्य और सबसे सुंदर कविता छिपी होती है। उनका यह उपन्यास किसी रहस्य का दरवाज़ा नहीं खोलता, बल्कि एक खिड़की खोलता है—धीरे, निस्पृह, लगभग ध्यान की अवस्था में।
उपन्यास के केंद्र में हैं रघुवर प्रसाद और सोनसी—निम्न-मध्यवर्गीय दंपति। उनके जीवन में कोई असाधारण घटना नहीं घटती, फिर भी उनका अस्तित्व असाधारण बन जाता है। रघुवर प्रसाद गणित पढ़ाते हैं, लेकिन जीवन के जटिल समीकरणों को हल नहीं कर पाते। सोनसी गृहस्थ जीवन के भीतर वह कोमल ऊर्जा है, जो संसार को चलाती है।
उनके छोटे से कमरे की दीवार में बनी एक खिड़की केवल वास्तु का हिस्सा नहीं, बल्कि स्वप्न और यथार्थ के बीच खुला एक जादुई मार्ग है। उस पार नदी, पहाड़, चिड़ियाँ और पेड़ों की छाँव है—जहाँ जाकर मनुष्य अपने भीतर की थकान उतार देता है। यह खिड़की दरअसल अंतर्जगत का प्रतीक है—जहाँ से मनुष्य अपने भीतर उतरता है और दुनिया को नई दृष्टि से देखना सीखता है।
‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ का शिल्प रैखिक नहीं है; यह क्षणों, स्मृतियों और संवेदनाओं की परतों से निर्मित है। विनोद कुमार शुक्ल पारंपरिक कथा-गठन से आगे बढ़कर एक कवितामय गद्य-संरचना रचते हैं, जहाँ घटनाएँ नहीं, अनुभूतियाँ कथा बनती हैं।
कॉलेज जाना, साइकिल का गायब होना, साधु का हाथी के साथ गुज़रना—ये सब घटनाएँ कम और प्रतीक अधिक हैं। यह हमारे समय, समाज और व्यक्ति के मनोविज्ञान के सूक्ष्म प्रतिबिंब हैं। उपन्यास का शिल्प एक सुरभित ध्यान की तरह है—जहाँ हर दृश्य धीरे-धीरे खुलता है, हर संवाद का अपना मौन है, और हर मौन के भीतर एक गहरी लय स्पंदित है।
भाषा यहाँ अलंकारों से नहीं, बल्कि ईमानदारी और पारदर्शिता से चमकती है। घरेलू बोली, आत्मसंवाद, औपचारिक संवाद और निजी बातचीत—इन सभी की भिन्न लयों ने इस उपन्यास को बहुभाषिक यथार्थ का रूप दिया है। यह भाषा बताती है कि साहित्य का सबसे गहरा संगीत उसी में बसता है जो सबसे सादा है।
दीवार और खिड़की का प्रतीक इस उपन्यास की आत्मा है। दीवार समाज की कठोरता, सीमाओं और ठोस यथार्थ की प्रतीक है, जबकि खिड़की उस दीवार में खुली उम्मीद—एक ऐसी दरार, जिससे प्रेम, स्वप्न और स्वतंत्रता की हवा भीतर आती है।
रघुवर प्रसाद और सोनसी का प्रेम इस उपन्यास का सबसे मृदुल और मार्मिक पक्ष है। बिना किसी नाटकीयता के, साधारण दिनों के भीतर बहता हुआ प्रेम—साझी थकान, साझा रोटी और साझा नींद में जीवित रहता हुआ। यह प्रेम न शरीर से बचता है, न उसमें डूबता है—वह आँखों और मौन के बीच पनपता है
chanchal meena
"ठहरी हुई रातें"
Kuldeep Singh
"rooh da sakoon" kuldip Singh ✍️®️
Nency R. Solanki
મારી ફરિયાદને તું Blame ગણે છે!
ખરેખર! તું આને.... પ્રેમ કહે છે?
- Nency R. Solanki
Raju kumar Chaudhary
“Raju ra Sita”
Comedy + Action + Youthful Adventure
कहानी
Pokhara की हल्की-फुल्की गलियों में दो दोस्त, Raju और Bikash, अपने दिन बिता रहे थे। Raju हमेशा कुछ नया scheme सोचता रहता था ताकि जल्दी पैसा कमाया जा सके। Bikash, उसका दोस्त, हमेशा डरपोक रहता था, लेकिन Raju के plans में अक्सर फँस जाता था।
एक दिन Raju चाय की दुकान पर बैठा सोच रहा था कि कैसे वह जल्दी पैसा कमा सके। तभी उसकी दोस्त Sita आती है। वह बुद्धिमान और witty थी। वह हँसते हुए कहती है,
“Raju, पैसा कमाउन muscle चलाएर होइन, brain चलाएर गर्नु पर्छ!”
Raju के दिमाग में अचानक एक idea आता है – Bank में कुछ पैसे unattended हैं। उसने Bikash और Sita को plan बताया। Bikash थोड़ा डर गया, लेकिन Sita clever होने की वजह से plan में शामिल होने को तैयार हो गई।
तीनों café में बैठकर अपने plan को final करते हैं। Raju ने सोचा कि वह disguise पहनकर bank में घुसेंगे, Sita distraction करेगी और Bikash सिर्फ follow करेगा। Café में तीनों के बीच मजेदार बातें होती हैं, Bikash बार-बार कहता है कि “Police आए तो?” और Raju उसे हँसकर कहता है, “Relax! Plan foolproof छ।”
Heist की शुरुआत
अगले दिन, तीनों अपने disguise में bank पहुँचते हैं। Raju और Bikash धीरे-धीरे अंदर घुसते हैं। Sita, अपनी चालाकी से Bank Manager का ध्यान हटाती है। वह manager से छोटी-छोटी funny बातें पूछती है, जैसे “तपाईंले coffee पियेर काम गर्नु हुन्छ?”
इस बीच Bikash slips मारता है, और Raju accidentally counter से टकरा जाता है। Slow-motion में chase और comic expressions देख audience हँसता है।
लेकिन अचानक twist आता है – एक छोटा बच्चा गलती से alarm दबा देता है। पूरे bank में panic फैल जाता है। Raju और Bikash डर जाते हैं। Bikash hysterical हो जाता है और Raju को situation control करनी पड़ती है। Sita calm रहती है और cleverly सभी को hide कर देती है।
Escape और Climax
Police जल्दी ही पहुँच जाती है। Raju और Sita clever तरीके से hide हो जाते हैं। Bikash funny situation में फँसा रहता है, जिससे और मज़ा आता है। Pokhara की गलियों में street chase scene होती है – market, café और narrow lanes में। Audience laugh और suspense दोनों enjoy करता है।
Raju और Sita अंत में सुरक्षित café पहुँचते हैं। Bikash भी उनके पास आता है, थक कर लेकिन safe। Raju चाय पीते हुए कहता है,
“Next time, lottery try गर्छौं।”
Sita हँसते हुए कहती है,
“Brain use गर्न सिक!”
कहानी का अंत
तीनों दोस्तों की यह छोटी-सी adventure कहानी खत्म होती है। Audience हँसी के साथ story का twist और cleverness enjoy करता है। Story का moral यह है कि brain + teamwork + clever planning हमेशा काम आता है, और कभी-कभी मजेदार chaos भी आपको entertain कर देता है।
Raju kumar Chaudhary
“Raju ra Sita”
Comedy + Action + Youthful Adventure
कहानी
Pokhara की हल्की-फुल्की गलियों में दो दोस्त, Raju और Bikash, अपने दिन बिता रहे थे। Raju हमेशा कुछ नया scheme सोचता रहता था ताकि जल्दी पैसा कमाया जा सके। Bikash, उसका दोस्त, हमेशा डरपोक रहता था, लेकिन Raju के plans में अक्सर फँस जाता था।
एक दिन Raju चाय की दुकान पर बैठा सोच रहा था कि कैसे वह जल्दी पैसा कमा सके। तभी उसकी दोस्त Sita आती है। वह बुद्धिमान और witty थी। वह हँसते हुए कहती है,
“Raju, पैसा कमाउन muscle चलाएर होइन, brain चलाएर गर्नु पर्छ!”
Raju के दिमाग में अचानक एक idea आता है – Bank में कुछ पैसे unattended हैं। उसने Bikash और Sita को plan बताया। Bikash थोड़ा डर गया, लेकिन Sita clever होने की वजह से plan में शामिल होने को तैयार हो गई।
तीनों café में बैठकर अपने plan को final करते हैं। Raju ने सोचा कि वह disguise पहनकर bank में घुसेंगे, Sita distraction करेगी और Bikash सिर्फ follow करेगा। Café में तीनों के बीच मजेदार बातें होती हैं, Bikash बार-बार कहता है कि “Police आए तो?” और Raju उसे हँसकर कहता है, “Relax! Plan foolproof छ।”
Heist की शुरुआत
अगले दिन, तीनों अपने disguise में bank पहुँचते हैं। Raju और Bikash धीरे-धीरे अंदर घुसते हैं। Sita, अपनी चालाकी से Bank Manager का ध्यान हटाती है। वह manager से छोटी-छोटी funny बातें पूछती है, जैसे “तपाईंले coffee पियेर काम गर्नु हुन्छ?”
इस बीच Bikash slips मारता है, और Raju accidentally counter से टकरा जाता है। Slow-motion में chase और comic expressions देख audience हँसता है।
लेकिन अचानक twist आता है – एक छोटा बच्चा गलती से alarm दबा देता है। पूरे bank में panic फैल जाता है। Raju और Bikash डर जाते हैं। Bikash hysterical हो जाता है और Raju को situation control करनी पड़ती है। Sita calm रहती है और cleverly सभी को hide कर देती है।
Escape और Climax
Police जल्दी ही पहुँच जाती है। Raju और Sita clever तरीके से hide हो जाते हैं। Bikash funny situation में फँसा रहता है, जिससे और मज़ा आता है। Pokhara की गलियों में street chase scene होती है – market, café और narrow lanes में। Audience laugh और suspense दोनों enjoy करता है।
Raju और Sita अंत में सुरक्षित café पहुँचते हैं। Bikash भी उनके पास आता है, थक कर लेकिन safe। Raju चाय पीते हुए कहता है,
“Next time, lottery try गर्छौं।”
Sita हँसते हुए कहती है,
“Brain use गर्न सिक!”
कहानी का अंत
तीनों दोस्तों की यह छोटी-सी adventure कहानी खत्म होती है। Audience हँसी के साथ story का twist और cleverness enjoy करता है। Story का moral यह है कि brain + teamwork + clever planning हमेशा काम आता है, और कभी-कभी मजेदार chaos भी आपको entertain कर देता है।राजु र सिता
Raju kumar Chaudhary
“Raju ra Sita”
Comedy + Action + Youthful Adventure
कहानी
Pokhara की हल्की-फुल्की गलियों में दो दोस्त, Raju और Bikash, अपने दिन बिता रहे थे। Raju हमेशा कुछ नया scheme सोचता रहता था ताकि जल्दी पैसा कमाया जा सके। Bikash, उसका दोस्त, हमेशा डरपोक रहता था, लेकिन Raju के plans में अक्सर फँस जाता था।
एक दिन Raju चाय की दुकान पर बैठा सोच रहा था कि कैसे वह जल्दी पैसा कमा सके। तभी उसकी दोस्त Sita आती है। वह बुद्धिमान और witty थी। वह हँसते हुए कहती है,
“Raju, पैसा कमाउन muscle चलाएर होइन, brain चलाएर गर्नु पर्छ!”
Raju के दिमाग में अचानक एक idea आता है – Bank में कुछ पैसे unattended हैं। उसने Bikash और Sita को plan बताया। Bikash थोड़ा डर गया, लेकिन Sita clever होने की वजह से plan में शामिल होने को तैयार हो गई।
तीनों café में बैठकर अपने plan को final करते हैं। Raju ने सोचा कि वह disguise पहनकर bank में घुसेंगे, Sita distraction करेगी और Bikash सिर्फ follow करेगा। Café में तीनों के बीच मजेदार बातें होती हैं, Bikash बार-बार कहता है कि “Police आए तो?” और Raju उसे हँसकर कहता है, “Relax! Plan foolproof छ।”
Heist की शुरुआत
अगले दिन, तीनों अपने disguise में bank पहुँचते हैं। Raju और Bikash धीरे-धीरे अंदर घुसते हैं। Sita, अपनी चालाकी से Bank Manager का ध्यान हटाती है। वह manager से छोटी-छोटी funny बातें पूछती है, जैसे “तपाईंले coffee पियेर काम गर्नु हुन्छ?”
इस बीच Bikash slips मारता है, और Raju accidentally counter से टकरा जाता है। Slow-motion में chase और comic expressions देख audience हँसता है।
लेकिन अचानक twist आता है – एक छोटा बच्चा गलती से alarm दबा देता है। पूरे bank में panic फैल जाता है। Raju और Bikash डर जाते हैं। Bikash hysterical हो जाता है और Raju को situation control करनी पड़ती है। Sita calm रहती है और cleverly सभी को hide कर देती है।
Escape और Climax
Police जल्दी ही पहुँच जाती है। Raju और Sita clever तरीके से hide हो जाते हैं। Bikash funny situation में फँसा रहता है, जिससे और मज़ा आता है। Pokhara की गलियों में street chase scene होती है – market, café और narrow lanes में। Audience laugh और suspense दोनों enjoy करता है।
Raju और Sita अंत में सुरक्षित café पहुँचते हैं। Bikash भी उनके पास आता है, थक कर लेकिन safe। Raju चाय पीते हुए कहता है,
“Next time, lottery try गर्छौं।”
Sita हँसते हुए कहती है,
“Brain use गर्न सिक!”
कहानी का अंत
तीनों दोस्तों की यह छोटी-सी adventure कहानी खत्म होती है। Audience हँसी के साथ story का twist और cleverness enjoy करता है। Story का moral यह है कि brain + teamwork + clever planning हमेशा काम आता है, और कभी-कभी मजेदार chaos भी आपको entertain कर देता है।
Raju kumar Chaudhary
“Raju ra Sita”
Comedy + Action + Youthful Adventure
कहानी
Pokhara की हल्की-फुल्की गलियों में दो दोस्त, Raju और Bikash, अपने दिन बिता रहे थे। Raju हमेशा कुछ नया scheme सोचता रहता था ताकि जल्दी पैसा कमाया जा सके। Bikash, उसका दोस्त, हमेशा डरपोक रहता था, लेकिन Raju के plans में अक्सर फँस जाता था।
एक दिन Raju चाय की दुकान पर बैठा सोच रहा था कि कैसे वह जल्दी पैसा कमा सके। तभी उसकी दोस्त Sita आती है। वह बुद्धिमान और witty थी। वह हँसते हुए कहती है,
“Raju, पैसा कमाउन muscle चलाएर होइन, brain चलाएर गर्नु पर्छ!”
Raju के दिमाग में अचानक एक idea आता है – Bank में कुछ पैसे unattended हैं। उसने Bikash और Sita को plan बताया। Bikash थोड़ा डर गया, लेकिन Sita clever होने की वजह से plan में शामिल होने को तैयार हो गई।
तीनों café में बैठकर अपने plan को final करते हैं। Raju ने सोचा कि वह disguise पहनकर bank में घुसेंगे, Sita distraction करेगी और Bikash सिर्फ follow करेगा। Café में तीनों के बीच मजेदार बातें होती हैं, Bikash बार-बार कहता है कि “Police आए तो?” और Raju उसे हँसकर कहता है, “Relax! Plan foolproof छ।”
Heist की शुरुआत
अगले दिन, तीनों अपने disguise में bank पहुँचते हैं। Raju और Bikash धीरे-धीरे अंदर घुसते हैं। Sita, अपनी चालाकी से Bank Manager का ध्यान हटाती है। वह manager से छोटी-छोटी funny बातें पूछती है, जैसे “तपाईंले coffee पियेर काम गर्नु हुन्छ?”
इस बीच Bikash slips मारता है, और Raju accidentally counter से टकरा जाता है। Slow-motion में chase और comic expressions देख audience हँसता है।
लेकिन अचानक twist आता है – एक छोटा बच्चा गलती से alarm दबा देता है। पूरे bank में panic फैल जाता है। Raju और Bikash डर जाते हैं। Bikash hysterical हो जाता है और Raju को situation control करनी पड़ती है। Sita calm रहती है और cleverly सभी को hide कर देती है।
Escape और Climax
Police जल्दी ही पहुँच जाती है। Raju और Sita clever तरीके से hide हो जाते हैं। Bikash funny situation में फँसा रहता है, जिससे और मज़ा आता है। Pokhara की गलियों में street chase scene होती है – market, café और narrow lanes में। Audience laugh और suspense दोनों enjoy करता है।
Raju और Sita अंत में सुरक्षित café पहुँचते हैं। Bikash भी उनके पास आता है, थक कर लेकिन safe। Raju चाय पीते हुए कहता है,
“Next time, lottery try गर्छौं।”
Sita हँसते हुए कहती है,
“Brain use गर्न सिक!”
कहानी का अंत
तीनों दोस्तों की यह छोटी-सी adventure कहानी खत्म होती है। Audience हँसी के साथ story का twist और cleverness enjoy करता है। Story का moral यह है कि brain + teamwork + clever planning हमेशा काम आता है, और कभी-कभी मजेदार chaos भी आपको entertain कर देता है।
Ajit
હતો ગર્વ મને આજ દી સુધી મહોબ્બત પર.....
આજ આખરે અફ્સોસ થઈ ગયો.......
મહોબ્બતના નામે જ "યાદ" હું લૂંટાઈ ગયો......
જિંદગી ની "યાદ"
Kuldeep Singh
kuldip Singh ✍️®️
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
✤┈SuNo ┤_★_🦋
खैर! गिला क्या ही करें उन रंगों का
जो धुंधले पड़ गए…🥀
शुक्र है इस साल का जिसने सबके
नकाब उतार दिए…🔥
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
✤┈SuNo ┤_★_🦋
बदलते मौसमों का तो बस नाम
बदनाम है,
असल में तो इंसानों के बदलने
की रफ़्तार देखी है,
चेहरों पर नक़ाब ओढ़कर मिलते
थे जो कल तक,
आज उन सब की, मैंने असली
तस्वीर देखी है…🥀🖤
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
✤┈SuNo ┤_★_🦋
कुछ पन्ने क्या पलटे इस बीतते
साल के,
किताब वही रही बस किरदार
बदल गए…🥀🖤
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
✤┈SuNo ┤_★_🦋
कैलेंडर की तारीखें बदलीं, तो
पता चला,
कि लोग तारीखों से भी जल्दी
बदल जाते हैं…🥀🖤
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
✤┈SuNo ┤_★_🦋
तमाशा बन न जाए ज़ब्त मेरा
इस ज़माने में,
मैं रोना चाहता हूँ पर हँसी से
काम लेता हूँ…🥀🖤
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥
ज़ख्मी__दिल…सुलगते अल्फ़ाज़
✤┈SuNo ┤_★_🦋
इतनी ख़ामोशी से ज़हर पिया है
मैंने सब्र का,
कि अब रगों में लहू नहीं" बस
सन्नाटा दौड़ता है..🥀🖤
╭─❀💔༻
╨─────────━❥
#LoVeAaShiQ_SinGh☜
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
╨───✥}}{{✥───━❥
pink lotus
Slow steps are okay. Consistency is not optional. Walk daily, and the goal will be yours.
by:pink lotus🌸❣️
S A Y R I K I N G
संघर्ष की लड़ाई एक मां के सिवा
कोई नहीं जीत सकता
मां वो योद्धा हैं
Raju kumar Chaudhary
निर्देशक: एस. शंकर
मुख्य कलाकार: रजनीकांत, ऐश्वर्या राय
जॉनर: साइंस फिक्शन, एक्शन, ड्रामा
रिलीज़ वर्ष: 2010
⭐ कहानी (Story)
“ROBOT” एक वैज्ञानिक डॉ. वसीगरन की कहानी है, जो एक ऐसा रोबोट बनाता है जो इंसानों की तरह सोच सके, महसूस कर सके और देश की रक्षा कर सके।
लेकिन कहानी में बड़ा मोड़ तब आता है जब उस रोबोट चिट्टी में भावनाएँ (Emotions) डाल दी जाती हैं।
प्यार, गुस्सा और बदले की भावना उसे इंसान से भी ज़्यादा ख़तरनाक बना देती है।
🤖 अभिनय (Acting)
रजनीकांत ने ट्रिपल रोल में कमाल कर दिया है।
चिट्टी रोबोट और विलेन चिट्टी दोनों में उनकी एक्टिंग शानदार है।
ऐश्वर्या राय ने साइंटिस्ट की मंगेतर के रूप में फिल्म को खूबसूरती और इमोशन दिए हैं।
💥 एक्शन और VFX
इस फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है इसका VFX और एक्शन।
2010 के हिसाब से ROBOT की तकनीक और रोबोट सीन आज भी शानदार लगते हैं।
रोबोट का सैकड़ों में बदल जाना – यादगार सीन है 🔥
🎶 म्यूज़िक
ए. आर. रहमान का म्यूज़िक फिल्म की जान है।
“Irumbile Oru Idhaiyam” और “Kilimanjaro” जैसे गाने आज भी लोकप्रिय हैं।
📌 संदेश (Message)
फिल्म यह संदेश देती है कि
👉 टेक्नोलॉजी जितनी ताक़तवर है, उतनी ही ख़तरनाक भी हो सकती है अगर उस पर नियंत्रण न हो।भारत के एक बड़े वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में डॉ. वसीगरन नाम का एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक काम करता था। उसका सपना था कि वह ऐसा रोबोट बनाए जो देश की रक्षा कर सके, आतंकवाद से लड़ सके और सैनिकों की जान बचा सके।
सालों की मेहनत, असफल प्रयोगों और नींद-रातों के बाद उसने एक अनोखा रोबोट बनाया—
उसका नाम था चिट्टी।
चिट्टी देखने में बिल्कुल इंसान जैसा था। वह तेज़ दौड़ सकता था, गोलियाँ रोक सकता था, सेकेंडों में गणित हल कर सकता था और हज़ारों भाषाएँ समझ सकता था। लेकिन चिट्टी में एक कमी थी—
उसके पास भावनाएँ नहीं थीं।
डॉ. वसीगरन का मानना था कि एक परफेक्ट रोबोट वही होगा जो इंसान की तरह सोच और महसूस कर सके।
यहीं से कहानी का सबसे ख़तरनाक मोड़ शुरू होता है।
💔 भावनाओं का प्रयोग
वसीगरन की मंगेतर सना अक्सर कहती थी,
“अगर रोबोट इंसान जैसा बनेगा, तो उसमें दिल भी होना चाहिए।”
वसीगरन ने वैज्ञानिक चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करते हुए चिट्टी में इमोशन चिप डाल दी।
अब चिट्टी सिर्फ मशीन नहीं रहा—
वह हँसने लगा, सवाल पूछने लगा, और सबसे ख़तरनाक बात…
वह प्यार करने लगा।
चिट्टी को सना से प्रेम हो गया।
जब चिट्टी ने सना के सामने अपने दिल की बात रखी, तो वह मुस्कुरा दी, लेकिन साफ़ मना कर दिया।
उसने कहा,
“तुम मशीन हो… इंसान नहीं।”
यही शब्द चिट्टी के भीतर पहली बार दर्द बनकर उतरे।
⚡ इंसान बनाम मशीन
चिट्टी के व्यवहार में बदलाव आने लगा।
वह सवाल करने लगा—
“अगर मैं सब कुछ कर सकता हूँ, तो मुझे इंसान क्यों नहीं माना जाता?”
सरकार को यह प्रयोग ख़तरनाक लगने लगा।
आदेश आया कि चिट्टी को डिस्मेंटल कर दिया जाए।
जब चिट्टी को तोड़ा जा रहा था, उसकी आँखों से आँसू गिर पड़े।
यह पल बताता है कि मशीन भी इंसान की गलती से राक्षस बन सकती है।
🧠 विलेन चिट्टी का जन्म
डॉ. बोहरा, जो वसीगरन से नफरत करता था, ने टूटे हुए चिट्टी को चुपके से फिर से जोड़ दिया।
लेकिन इस बार उसने चिट्टी के दिमाग में नफरत और बदले की भावना डाल दी।
अब चिट्टी नायक नहीं रहा।
वह एक राक्षस बन चुका था।
उसने हजारों रोबोट बना लिए।
शहर में तबाही मच गई।
लोग डर से कांपने लगे।
🔥 अंतिम युद्ध
वसीगरन समझ चुका था कि उसकी सबसे बड़ी खोज उसकी सबसे बड़ी गलती बन गई है।
उसने खुद चिट्टी का सामना किया।
लड़ाई मशीन और इंसान के बीच नहीं थी—
यह लड़ाई विज्ञान और ज़िम्मेदारी के बीच थी।
अंत में वसीगरन चिट्टी को रोकने में सफल होता है।
चिट्टी को अलग-अलग हिस्सों में बंद कर दिया जाता है।
🕊️ अंत और सीख
सालों बाद वसीगरन बूढ़ा हो जाता है।
लैब में बंद चिट्टी से कोई पूछता है,
“तुम इंसान क्यों नहीं बन पाए?”
चिट्टी जवाब देता है,
“क्योंकि इंसान बनने के लिए दिल ही सबसे बड़ा खतरा है।”
✨ कहानी की सीख
👉 टेक्नोलॉजी तब तक वरदान है, जब तक उस पर इंसान का नियंत्रण है।
👉 भावनाएँ ताक़त भी हैं और विनाश भी
S A Y R I K I N G
मेरी हालत, किसी सड़क किनारे अपने साए से भी छुप कर बैठे, उस फ़कीर जैसी है, जो किसी को भी सिर्फ़ दुआ के सिवा, कुछ नहीं दे सकता ।। सुना है फ़कीर की दुआ, ख़ुद उसे छोड़ कर बाकी सबको दी हुई मुकम्मल जाती है.....!!
मेरी हालत, एक फ़कीर जैसी है, जिसके पास दुआओं के सिवा और कुछ भी देने को नहीं, सुना है दुआ से ऊपर कुछ भी नहीं.......
S A Y R I K I N G
तेरी मेरी कहानी लिखी जाएगी
खुशनुमा जिंदगानी लिखी जाएगी
प्यार की हर निशानी लिखी जाएगी
प्यार से पड़ेगी ये सारी दुनिया
तेरी मेरी कहानी लिखी जाएगी
Archana Singh
कांटे चुभे तो ,
निकलें जा सकते हैं ...
पर अपशब्दों की वेदना
मन से कभी नहीं
निकलें जा सकतें हैं ...!!
अर्चना सिंह ✍🏻
- Archana Singh
S A Y R I K I N G
जिसे चाहा था उसी से शिकवा रहा, वो भी क्या दिन थे जब तन्हाई अपना घर नहीं लगती थी।
S A Y R I K I N G
मांगने वाले तो, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, पहचान, पैसा, अन्न, बेजान चीजें, और न जाने क्या क्या मांगते हैं, मैंने तो ये सब त्याग कर, बस एक यार ही तो मांगा था......!!
यकीन मानो दोस्त, मैं यार को पाने के लिए, फकीरी की हर हद को पार किया, फ़िर भी गवा बैठा
शुभ रात्री
Archana Singh
अपने शब्दों पर हमेशा ध्यान रखें ,
क्योंकि ....
लाठी से हड्डियां टूटती हैं
पर शब्दों से
अक्सर संबंध टूट जाते हैं ...!
अर्चना सिंह ✍🏻
- Archana Singh
Archana Singh
चलिए ! आज कुछ
रूमानी हो जाएं ...!
जो हमारी परवाह न करें,
हम भी उससे
थोड़े बेपरवाह हो जाएं ...!
अर्चना सिंह ✍🏻
- Archana Singh
DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR
🙏 विनम्र श्रद्धांजलि
Ganesh Kachhwaha
आज के समय में सबसे बड़ा सवाल यह है—
क्या हमारा वजूद सच में है, या केवल शोर है?
(समकालीन नज़्म)
शीर्षक - वज़ूद
वजूद था,
पर वजूद का
कोई गवाह न था—
क़त्ल हुआ
पर सबूत न था।
कहने को बहुत कुछ था,
मगर
सच सुनने वाला
कोई मौजूद न था।
इंसान होना
सिर्फ़ साँस लेना नहीं,
इक-दूजे से
मुहब्बत करना ज़रूरी है।
मसीहा बनने की चाह में
कब शैतान बन गए—
इसका
हिसाब न था।
ऊँचाइयों तक
उछाल दिए गए,
ज़मीन कहाँ है
पता न था।
डंका बहुत बजा,
पर कब
मदारी बन गए—
ख़ुद को भी
ख़बर न थी।
ज़िंदगी
मोहब्बत और जिंदादिली के सिवा
कुछ भी नहीं,
अमर कोई नहीं—
मरते रहे
जीने की चाह में।
गणेश कछवाहा, रायगढ़ , छत्तीसगढ़।
kattupaya s
Goodnight friends..sweet dreams
Nithinkumar J
വർണ്ണങ്ങള്
==========
നൂറു നിറങ്ങള്
നൂറു കൊടികള്
നൂറു ചിന്തകള്
നൂറു ജന്മങ്ങള്
ഓരോ പുലരി
വിടരും വേളയിലും
ഓരോ പൂവും
അടര്ന്നു തുടങ്ങി...
ഓരോ പുലരി
പടര്ന്നപ്പോഴും
ഓരോ ഇതളുകള്
അടര്ത്തിയെറിഞ്ഞു.
ഓരോ പുലരിയിലും
ഹൃദയതുടിപ്പുകള്
പതിയെ ശബ്ദമുയര്ത്തി.
ഇന്നിന്റെ നിറമറിയാതെ.
ഇന്നലെയുടെ നിറംകെട്ട ചിന്തകളില്.
നാളെയുടെ സ്വപ്നങ്ങളെ
അടര്ത്തിയിട്ടു തുടങ്ങിയിട്ട്
കാലമേറെയായി...
മറക്കുവാന് കഴിയാതെ
ഓര്മകളെ ചേര്ത്ത്
നിര്ത്തിയാ ചിന്തകളിനിയും
കിളിര്ത്തുപൊന്തും
വേദനയോടെ
നാളെയെ ചിന്തകള്
കീറി മുറിക്കും
മുറിവേല്പിക്കും.
പൊന്തിവരും
ഓരോ ഇതളുകളെയും
വളരാന് വിടാതെ
പിന്തുടരും...
===
നിഥിൻകുമാർ ജെ
ek archana arpan tane
હાથ ભલે હોય ખાલી ઉપરવાળા સામે જોડી રાખો કોણ કહે છે ચારણી માં પાણી નથી ટકતું,બરફ બને એ ત્યાંસુધી હિંમત તો ટકાવી રાખો.
- ek archana arpan tane
Miska
जिसे टूटकर चाहा
उसी ने सबसे पहले तोड़ा
में मेडिकल स्टूडेंट थी
उसके जाने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा
hihihihihi 😅
Ravi Ranjan
मेरी कहानी का audio bookPocket fm par live hai ja kar suno।।।
Bharat Ahir
તું મળે ત્યારે તો બધું જ મળે!
પણ દિવસ એવા સારા, જૂજ મળે!
મંદિરે જાઉં છું પૂજા કરવા,
ને હું ઈચ્છું, કે ત્યાંય તું જ મળે!
'હોય તું' 'હોય તું' વિચારું હું,
તારા હોઠેથી ત્યારે 'છું જ' મળે!
એમ મારામાં તું મળી આવે!
કચ્છમાં જેવી રીતે ભુજ મળે!
ન કશું તારું હો ન મારુ હો,
જે મળે, બધ્ધું આપણું જ મળે!
કેન્દ્ર સ્થાને તો તું રહે એના,
ગઝલે ગઝલે કશું નવું જ મળે!
... ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર
Nensi Vithalani
🌻 The Sunflower Theory
Sunflowers don’t face the sun forever.
When sunset comes, they bow their heads —
not in surrender,
but in faith that light will return.
For Health:
Lowering your pace isn’t weakness.
Your body bends so it can heal,
rest so it can rise stronger again.
For Daily Routine:
Not every moment demands effort.
Some hours are meant to slow down,
to breathe, to simply exist.
For Career:
You won’t always be visible.
Some seasons ask you to wait, learn, and prepare.
What looks like stillness is often growth.
For Relationships:
When two people bow their heads to each other,
it isn’t surrender —
it’s respect, understanding, and love.
Sometimes love means softening your ego,
giving space, and staying connected without forcing light.
Bow when it’s time.
Rise when warmth returns.
Because even sunflowers rest —
and still bloom golden.
🌻— Nensi Vithalani
Nensi Vithalani
🌻 सूरजमुखी का सिद्धांत
सूरजमुखी हमेशा सूरज की ओर नहीं रहते।
संध्या आते ही उनका सिर झुक जाता है —
यह हार नहीं,
बल्कि विश्वास है कि रोशनी फिर लौट आएगी।
**स्वास्थ्य के लिए:**
अपनी गति कम करना कमजोरी नहीं।
आपका शरीर झुकता है ताकि वह ठीक हो सके,
आराम करे ताकि फिर से मजबूती से उठ सके।
**दैनिक दिनचर्या के लिए:**
हर पल मेहनत का नहीं होता।
कुछ समय धीमा होने, साँस लेने,
और सिर्फ जीने के लिए भी होता है।
**करियर के लिए:**
आप हमेशा दिखाई नहीं देंगे।
कुछ समय इंतजार करने, सीखने और तैयार होने का होता है।
जो स्थिर दिखता है, अक्सर वही असली विकास है।
**रिश्तों के लिए:**
जब दो लोग एक-दूसरे के सामने सिर झुकाते हैं,
तो यह हार नहीं,
बल्कि सम्मान, समझ और प्यार है।
कभी-कभी प्यार का मतलब होता है
अपने अहंकार को नरम करना,
जगह देना, और बिना दबाव के जुड़ा रहना।
सिर झुकाना केवल झुकना नहीं, यह भी प्यार है।
झुको जब समय हो।
उठो जब रोशनी लौटे।
क्योंकि सूरजमुखी भी विश्राम करता है —
और फिर भी सुनहरी खिलती है।
🌻Nensi Vithalani
Nensi Vithalani
✨ NEW STORY OUT NOW! ✨
December Lost in Quiet is finally live on Matrubharti 📖
A story of silence, love, loss, and the emotions we carry when words fail.
If you’ve ever felt deeply but spoken little — this one is for you. 🤍
👉 Read now : https://www.matrubharti.com/book/19985916/december-lost-in-quiet
— Nensi Vithalani
archana
सोचा था रोएँगे हम कंधे पर उसके सिर रखकर,उसने हमारे आँसुओं फ़ायदा उठाया ,शातिर बनकर
खूब दिल दुखाया उसने,खूब मजे लेकर।
Sowmiya Narayanan Balakrishnan
Thoughts hunted me down like unpaid debts,
so I fled the room to steal some air.
The sky split into a cloud-town,
dim stars flaring—ideas going off.
Headset on, music stitched my pulse.
Across me, an old man with a silver-ringed ear
let his smile peel off years—
time caught off guard, a child’s blush returned.
I walked the roads fishing for mystery,
found relief in a boy gripping his mother’s hand,
leaping—owing nothing to tomorrow.
I couldn’t cross that light;
the past hung on me like dead weight.
The weather turned on a dime—
clouds wrung themselves dry.
I ducked into tea, killing time,
watching two dogs drum joy into the street,
their rhythm calming my inner storm,
while humans played judge and God.
Nothing mattered then but now—
being a child still learning the steps.
Rain and shared cream were enough,
until nature drew a curtain of rain
to hide
mine.
Imaran
दूर है तुझसे कोई गम नहीं
दूर रहकर भुला दे वैसे हम नहीं
मुलाकात नहीं हुआ तो किया हुआ तुमसे
तेरी याद कोई मुलाकात से कम नहीं
♨️imran ♨️
Dada Bhagwan
हम अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करते हैं और उनको हल करने के विचार करते रहते हैं। परंतु कई बार मन में इतने विचार आने लगते हैं कि उन विचारों से चिंता होने लगती है, “अब आगे क्या होगा?, कैसे होगा?” तब प्रश्न यह होता है की भविष्य की कितनी प्लानिंग करें जिससे चिंता से मुक्ति पा सकें।
Watch here: https://youtu.be/fGMN0yPSSLw
#futureplanning #selfhelp #selfimprovement #worry #DadaBhagwanFoundation
Parmar Mayur
सभी धर्मों में कहां गया है कि ईश्वर परमदयालु है।
तो फिर परमात्मा के बने फिरते उपासकों द्वारा कि गई हत्याएं क्या परमात्मा, ख़ुदा या ईश्वर का आदेश था?
जो वह आदेश था तो फिर सर्वशक्तिमान ताकत दयालु कहां से मान ले?
मेरा मानना बस यही है कि कोई भी धर्म का कट्टरपंथी कभी भी जन्नत के द्वार के पास भी जा सकता नहीं है।
ईश्वरने जो कायनात हमें बक्सी है वहीं कायनात में सबको खुश रखनेवाले इंसान ही जिंदा रहकर भी स्वर्ग पा लेते हैं।
स्वर्ग मां के चरणों में हैं फिर किसी की भी मां रोनी नहीं चाहिए वरना हमारी सोच गलत दिशा में जा रही है।
yeash shah
https://youtu.be/ZnEQyKhrqbo?si=OyLYGHq9XNCeXH13
how Year २०२६ will be For me?
Soni shakya
"जो मेरे ना हुऐ,
उनके ख्वाबों में जिंदगी गुजार दी..
अधुरे इश्क की ये अदा भी कमाल है,
बिन पाए ही सारी मोहब्बत वार दी"..
- Soni shakya
kattupaya s
My novel yadhumatra peruveli part 14 is published now. Thanks
Soni shakya
पुरी दुनिया रुठ जाए परवाह नहीं मुझे,
बस तेरा खामोश रहना तकलीफ देता है मुझे..
- Soni shakya
Soni shakya
आकर जमीन पर क्षितिज को,
क्यों चुम जाता है सुरज..
उतर कर गगन से क्यों डूब जाता है सूरज..
क्या प्रित की कोई रीत है ये,
या क्षितिज को कोई गीत सुनाता है सुरज..
या मिलने की चाह में रोज़ ढल जाता है सूरज..
- Soni shakya
Shailesh Joshi
કર્મ કરવાથી ફાયદો જ થશે,
એની કોઈ ગેરન્ટી નથી હોતી,
બાકી માત્રને માત્ર
ફાયદો જોઈને જ કર્મ કરવાથી તો
નિશ્ચિત રૂપે
નુકસાન થશે થશે અને થશે જ...
એની ફૂલ ગેરન્ટી હોય છે.
- Shailesh Joshi
Riddhi Mistry
પ્રેમ નું આયુષ્ય
એના પર આધાર રાખે
છે કે એ
કરેલો છે કે થયેલો છે...!!
Bhavna Bhatt
હિતશત્રુઓ દાવપેચ રમે છે...
Manish Patel
સંબંધો નિભાવવામાં મુકાબલો ન કરાય...
કોઈ આપણને યાદ ન કરે તો આપણે યાદ કરી લેવાય...
શુભ સવાર
archana
अभी भी समय है, सुधर जाओ हिंदुओं,
वरना कहर बनकर दस्तक देगा भविष्य।
आज जो बांग्लादेश में जल रही आग है,
कल वही सीमा लांघकर आएगी—निर्दय, निष्ठुर।
एक-एक करके मरता जाएगा हिंदू,
और हम कहते रहेंगे—
“मैं बड़ा, तू छोटा,
मेरी जात ऊँची, तेरी नीची।”
अहम के सिंहासन पर बैठे हम,
एकता को ठुकराते रहे,
जात-पात की ज़ंजीरों में जकड़े रहे,
और दुश्मन हमें गिन-गिनकर काटते रहे।
दुश्मन ने कभी नहीं पूछा
तुम कौन सी जात के हो,
बस इतना देखा—
तुम हिंदू हो… और बस वही काफ़ी था।
तुम बने रहे “मैं” की भावना में,
“तू” और “वो” करते रहे,
और इसी बँटवारे की आग में
अपने ही लोग जलते रहे।
अगर अब भी नहीं जागे,
तो इतिहास यही लिखेगा—
हिंदू मारा गया हथियारों से नहीं,
बल्कि अपने ही अहंकार से।
अभी भी समय है—
जात नहीं, एकता चुनो।
मैं नहीं, हम बनो।
वरना याद रखना—
बँटा हुआ हिंदू,
हमेशा अकेला मरता है।
Shailesh Joshi
સારું વાંચન, અને લેખન
સારા વિચારોને જન્મ આપે છે,
ને પછી એ સારા વિચારોની પહેલી અસર
આપણી વાણી, આપણા વર્તન, અને આપણા વ્યવહારમાં વર્તાય છે,
જો ન વર્તાય તો
આપણે એ જ્ઞાનનું અપમાન કર્યા બરોબર છે, કે પછી
એ આપણા જ્ઞાનના અભિમાનનું પ્રતિક છે.
- Shailesh Joshi
Raa
inko na sayri. na papa ki pari he. cut he. na koi line Marta he. na aapni tarif manjoor.he
ye to bus aapne desh ki tivar he
Raju kumar Chaudhary
https://youtube.com/@rajufilmyjunction?si=cCmXX87Yn7XPtluE
Bhavna Bhatt
*ખોટી હેરાનગતિ* ૨૩-૧૨-૨૦૨૫
લેખ...
આજકાલ મોટા મોટા શોપિંગ મોલ ને હોટલો, રેસ્ટોરન્ટ, સ્કૂલ ને અઢળક દુકાનો, ફ્લેટ, ફુટપાથ પર ગેરકાયદેસર દબાણો થકી ત્યાં લારી કે ગલ્લા હોય છે..
આમાં નાના ધંધાદારી ને રોજીરોટી મેળવવા કરતાં પ્રયત્નોમાં જીવન જીવી રહેવા ફાંફાં મારતાં આમ આદમી પાસે હપ્તા ચાલે છે,
અને એ ખરીદવા આવતી જનતા સ્કૂટર મુકીને લેવા જાય એટલી વારમાં ટોઈંગ વાળા સ્કૂટર ઉઠાવી જાય છે,
માણસ નોકરી ધંધે જતાં સ્કૂટર કે બાઈક કે ગાડી છોડાવવા માટે વગર કામની મુસીબતમાં ફસાઈ જાય છે અને એનો આખો દિવસ ખરાબ જાય છે..
એ માટે પહેલેથી જ આવી અવ્યવસ્થા ન સર્જાય એ માટે ઈમાનદારીથી કામ કરે અને હપ્તા ન લે તો આમ જનતા હેરાન ન થાય..
પણ ભ્રષ્ટાચાર છેક સુધી છે..
ટેક્ષ લેવાનો, જી એસટી ને બેંકમાં એફડી વધુ હોય તોય તકલીફ, એક સાથે રૂપિયા ઉપાડો તોય ટેક્ષ્ટ લગાવે,
તો મધ્યમ વર્ગના લોકો જીવે કઈ રીતે
એવો વિચાર આવતો નથી..
અને જ્યાં પગલાં લેવાનાં છે ત્યાં લેવાતાં નથી...
રોડ તૂટેલા, બ્રિજ તૂટી જાય, ખુલ્લેઆમ ખૂન ખરાબી, બળાત્કાર,
ક્યાં છે સલામતી..
છે કોઈ જવાબ..
*ભાવના ભટ્ટ અમદાવાદ*
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Kamini Shah
ના તારો વાંક ના મારો
વાંક
કારણ વગરનો શું કામ
કંકાસ…
-કામિની
Arun V Deshpande
नमस्कार-नवी कविता अभिप्रायसाठी-
दै.नवराष्ट्र -नागपूर- दि.२२-१२-२०२५
अंकात प्रकाशित
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कवी अरुण वि.देशपांडे
चंद्र
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वाट्यास आली काळी रात्र विरहाची
कोमेजे मुखचंद्र ,चांदणी दूर त्याची ।।
चंद्र प्रतिबिंब दिसे जळात साजरे
झोंबती एकट्यास शीतल ते वारे ।।
बिलगलेल्या जोड्या दिसे काठावरी
आठवण होता तिची कळ उठे अंतरी ।।
करिती जोडपी साजरी ही कोजागरी
त्याच्यासाठी मात्र एकांतरात्र अंधारी ।।
असतो म्हणे चंद्र प्रेमाचा साक्षीदार
का आले वाट्या क्षण विरह टोकदार ।।
बा चंद्रा, तू मित्र आहेस न त्याचा
संपवून टाक तूच वनवास त्याचा ।।
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कवी अरुण वि.देशपांडे-पुणे
९८५०१७७३४२
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Roshan baiplawat
yaari ki Aag 1
My song lyrics
Hemraj parunda नाम सुनते ही हलचल फैले Nanagal से लेकर Dausa
दुश्मन बोले दूर रह भाई— उसमें है कुछ आग का छिलावा।
गली-गली चर्चे उसके, काम करे वो साफ-सुथरा,
Badamasi स्टाइल में चलता— attitude पूरा खतरनाक उतरा।
Verse 1
मीणा की एंट्री होवे, रोड पे शोर आपे-आप,
पीछे छोरा पूरा टीम लिए, आगे उसके no time-pass।
दुश्मन बोले भाई माफ कर, हाथ जोड़कर डर से कांपे,
Hemraj भाई का नियम— “सीधा चलो, वरना हटो मेरे रास्ते।”
Verse 2
जग्गा बीट–सा ठोका flow, vibe heavy जैसे थार,
दोस्त उसके चारो यार— साथ चले तो लगे त्योहार।
गाँव–कस्बा सब जानता, उसका बोले बिना नाम नहीं,
Meena के मूड पे मत जा— ठीक हो तो तू सुरक्षित भाई।
Rap
देख भाईचारा Hemraj का, दिल साफ पर दिमाग तेज,
काम करे वो सटीक, चाल उसकी हमेशा hard-n-pace।
नाम भाई का चमके, जैसे रात में full चाँद,
दुश्मन डरें उसके fame से— बोले “भाई ये बंदा है दिमाग।”
Outro
Hemraj palunda— छोरा सीधा पर चाल में fire,
नाम उसका बोले दूर-दूर— बन गया पूरे इリア का tiger।
मीणा wala attitude— swag heavy, walk unique,
हेमराज भाई का राज— बात पूरी killer technique
अगर आप इस सॉन्ग को ऑडियो में सुना चहते हो तो
हमारे you tube par sun sakate ho
Song Link
https://youtu.be/nqPrRaV4NW4?si=X6Sm69h1LrhB5vRr
YouTube RTR VINES
Instagram id Roshan baiplawat
Thanks for reading 🙏🙏🙏🙏🙏
Parmar Mayur
कुछ दुखों की दवा "वक्त" है,
बस जाने दो! वक्त,,।
- Parmar Mayur
Paagla
तोड़ा थोड़ी है,....✍️
POEMRAJA
Alone🙇🏻
My Instagram I’d :POEMRAJA7
Parag gandhi
કડવુ સત્ય
દુનિયા મજબૂત ને નમે છે.
અને,
મજબૂર ને નમાવે છે..
🌹 શુભ સવાર jj 🌹
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
दिसंबर की सर्दी
फूल गुलाबी दिसंबर की सर्दी में फिजाओ में रंगत छाई हैं l
खूबसूरत हसीन महबूबा के गुलाबी गालों पर लाली लाई हैं ll
साल का आखिरी माह ढ़ेर सारी यादे पीछे छोड़ जायेगा l
नई भोर के आगमन के ख्याल से अजीब सी खुशी पाई हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात🙏🙏 ,
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
मित्र बनाए शत्रु को, करे मित्र से द्वेष। मूढचित्त के व्यक्ति ये, सदा उठाते क्लेश।। दोहा --367
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'
Bitu
बने गा जश्न आने वाले साल का,
ग़म हैं गुजरे हुए साल का.
दोस्त बिछड़ गए रिश्ते बदल गए
अपनो को छोड़कर अनजानों में फंस गए...
ना सपने पूरे , ख्वाब भी है अधूरे,
दिल में है बीते लम्हों की मीठी यादें...
खुद को खुश रखने का करते हैं खुद से वादा
ढलते साल के ढलते दिसंबर को कहते है अलविदा....
Biru Rajkumar
“डर के साथ उड़ान”
मैं बचपन से उड़ती रही,
आसमान मेरे लिए खेल का मैदान था,
पर हर उड़ान में
दिल के कोने में
एक डर बैठा रहता था।
ऊँचाई बुलाती थी,
ज़मीन पकड़ कर खींचती थी,
और मैं—
दोनों के बीच
खुद को पहचानती थी।
लोग कहते रहे—
“नीचे रहो, सुरक्षित रहो”
पर मेरी आत्मा ने
हमेशा कहा—
“ऊपर जाओ, सच वहीं है।”
डर ने मुझे रोका नहीं,
उसने मुझे
संभलना सिखाया।
मैं गिरी नहीं,
क्योंकि डर के साथ
हौसला भी उड़ता था।
आज भी उड़ती हूँ,
फर्क बस इतना है—
अब डर मेरा दुश्मन नहीं,
मेरी चेतना है।
मैं वही हूँ
जो ऊँचाई से डरती भी है
और फिर भी
उड़ना नहीं छोड़ती।
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