वर्धांन: हां तो मैं कहीं फँस गया होऊंगा… ये तुमने सोचा कभी?प्रणाली (कुछ याद करते हुए): अरे हां… तुम्हें ...
अगले दिन, प्रकृति और रिद्धान दोनों अलग-अलग जगहों पर अपने-अपने मिशन पर लग गए।प्रकृति ने सबसे पहले रिद्धि के ...
अब रात्रि बाजार से होकर दूसरी ओर अपनी सवारी मंगवाती है, और बैठकर आगे बढ़ने लगती है।सवारी अभी कुछ ...
प्रिंसिपल बदल चुके थे, और यह जानकर प्रकृति और कबीर दोनों थोड़े हताश हुए।प्रकृति की आँखों में हल्की निराशा ...
वर्धांन बिना उसे कोई जवाब दिए आगे बढ़ गया।सय्युरी उसे रोकते हुए:"वर्धांन! तुम जानते हो ना कि हम एक-दूसरे ...
अगस्त्य वहाँ से निकल गया।सय्युरी गुस्से में पास में रखा वास तोड़कर ज़ोर से चिल्लाती है:"आआआआआआ........!"पिछली बार इतना सब ...
दोनों की नज़दीकियाँ बढ़ने लगीं...अगस्त्य: देखा... यही वो वजहें हैं, जिनकी वजह से तुम ये कहानी नहीं जान सकती ...
अगस्त्य कॉल पिक करके:"मुझे पता था तुम कॉल करोगी... मुझे भी तुमसे मिलना है सय्युरी। मैं अभी तुम्हारे घर ...
वो आलिंगन सिर्फ़ आलिंगन नहीं था… वो उसकी बरसों की थकान, दर्द और ग़म का विस्फोट था। उसकी साँसें ...
[गरुड़ लोक | सुबह का पहला पहर]गरुड़ शोभित (रौबदार आवाज़ में): धरती पर जा रहे हो?वर्धान् एक पल को ...