“आंंटी,”पड़ोस की गुड्डी ने पुकारा। मैं आटा सानती रही। “आंटी, देखो कोई आया है।” मैं ने आटे की थाली ...
“देखिए,” पति से रमा अपना शारीरिक कष्ट हमेशा बढ़ा -चढ़ा कर बताती, “आज मुझे हाथ में भयंकर चोट लग ...
“पानी मैं निकालती हूं, ” आंगन में लगे हैंड- पंप की हत्थी मैं ने मां के हाथ से ले ...
यकीन मानो मेरी जिंदगी से तुम कभी गयी ही नहीं….. तुम्हारे निकनेम ‘ निकितिश्ना ‘ से मैं ने ‘निक्की’ ...
उस वर्ष हमारा दीपावली विशेषांक कहानियों पर केंद्रित था। “दीपावली विशेषांक की कहानियों के साथ जाने वाले रेखांकन तैयार ...
पुस्तकालय में उस समय अच्छी- खासी भीड़ थी। इश्यू काउंटर पर अतिव्यस्त होने के कारण सुधा मुझे पुस्तकालय में ...
दरवाज़े पर ताला देख कर याद आया, मां अब नहीं हैं और घर की चाबियां मेरे स्कूल बैग में ...
इंदुबाला का समस्त जीवन मेरी आंखों के सामने बीता था। उस की आकस्मिक मृत्यु भी मैं ने प्रत्यक्ष देखी ...
“हरीश त्रिपाठी का मकान क्या यही है?” दुमंज़िले उस मकान के मुख्य द्वार पर वही पता लिखा था जो ...
“क्या कर रहे हो?” उस रविवार, साढ़े बारह बजे के लगभग विनोद का फ़ोन आया। “तुम्हारा क्या इरादा है?” ...