DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR stories download free PDF

जब पहाड़ रो पड़े - 1

by DHIRENDRA BISHT DHiR

लेखक - धीरेंद्र सिंह बिष्टअध्याय 1: पहाड़ की पहली दरार(जहां से पलायन शुरू हुआ)देवभूमि उत्तराखंड — जहां हवा में ...

शब्दों का बोझ - 5 (अंतिम भाग)

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 756

“जो बात एक बार में न समझे, वो सौ बार सुनकर भी नहीं समझेगा। और जो समझता है, उसे ...

शब्दों का बोझ - 4

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 855

“जब चुप्पी आदत बन जाए, तब शब्द भी पराये लगने लगते हैं।”1. आदत की चुप्पीराघव अब बोलता नहीं था ...

शब्दों का बोझ - 3

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 768

June 28, 2025“हर बार समझाने की ज़रूरत हो, तो शायद समझने वाला ही ग़लत चुन लिया है।”1. रिश्तों की ...

शब्दों का बोझ - 2

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 978

चुप्पी की भाषा”June 28, 2025“जब शब्द बेमानी हो जाएँ, तो चुप्पी बोल उठती है।”1. चुप्पी का इन्कारराघव को अब ...

फोकटिया - 4

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 987

आत्म-साक्षात्कार — जो खोया, वही अब पहचान बना फोकटिया: लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट शोर जब थमता है, ...

काठगोदाम की गर्मियाँ - 5

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 897

हल्दी, संगीत और एक पुराना नाम सुबह का सूरज आँगन पर ठीक वैसे ही चमक रहा था जैसे कनिका ...

फोकटिया - 3

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 1k

जब नक़ाब उतरता है(पुस्तक: फोकटिया | लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट)“सच बोलने में ताक़त होती है,मगर डर उससे होता है ...

फोकटिया - 2

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 1k

बात अब सिर्फ दोस्ती की नहीं रही(पुस्तक: फोकटिया | लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट)“हर रिश्ता निभाना ज़रूरी नहीं,कुछ को छोड़ना ...

शब्दों का बोझ - 1

by DHIRENDRA BISHT DHiR
  • 3.2k

जब कोई चीज़ को बार-बार बोलना पड़े, फिर इन सब का मतलब शून्य हो जाता है।कई बार लगता है ...