रणविजय घुटनों के बल बैठा था। सिर झुका हुआ, आंखों से बहते आंसू ज़मीन को भिगो रहे थे। उसके ...
फार्महाउस की बालकनी से रणविजय हर एक पल मीरा को देख रहा था। उसकी नज़रें जैसे मीरा पर ही ...
फार्महाउस की शांति कुछ अलग ही थी। शहर की भागदौड़, बंद कमरों की घुटन और मशीनों की आवाज़ों से ...
जॉन ने रणविजय की ओर देखा, उसकी आंखों में कुछ सवाल थे, पर चेहरे पर वही वफादार चिंता। वो ...
एक अजीब सी खामोशी छा गई थी उस घर में। सबकुछ होते हुए भी सब कुछ अधूरा लग रहा ...
मीरा जब घर लौटी तो उसका चेहरा एकदम फीका पड़ चुका था। मन और शरीर दोनों थक चुके थे। ...
रनविजय की आँखों के सामने अब भी मीरा का चेहरा घूम रहा था—वो आँखें, जो कभी उसे देख मुस्कराया ...
शाम के चार बजे थे। सूरज ढलने को था, और आसमान में हल्की सुनहरी सी रोशनी फैली हुई थी। ...
मीरा वहीं खड़ी थी, जहाँ रणविजय ने उसे छोड़ दिया था बिल्कुल अकेली, बेजान-सी। उसके कानों में रणविजय के ...
रणविजय कमरे से बाहर निकला ही था कि सामने जॉन उसे बेसब्री से इंतज़ार करता दिखा। उसकी आँखों में ...