मृदुला के घर से फिर वही आवाजें उठ रही थीं..चीखें, रोने की, बर्तनों के गिरने की, बच्चों के सिसकने ...
गाँव के सुनसान छोर पर एक जर्जर मकान खड़ा था , जिसकी दीवारों की दरारों से हवा सीटी बजाती ...
प्रिय राधा आंटी!,उम्मीद है जहाँ होंगी इस जहाँ से बेहतर होंगी |हर कष्ट हर पीड़ा से मुक्त होंगी |आंटी!...कभी ...